कांग्रेस पार्टी में मचे घमासान और नेताओं की बयानबाजी के बाद सोनिया गाँधी ने एक बड़ा फैसला लिया है और पार्टी के मेंबरशिप फॉर्म में नया बदलाव कर दिया है. अब नेताओं को एक कसम खानी पड़ेगी. आइये जानते हैं वो कसम क्या है.
नेताओं ने पार्टी के खिलाफ की था बयानबाजी
दरअसल जी-23 नेताओं ने कुछ दिन पहले अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला था. जिसमें वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने यहां तक कह दिया था कि ‘पार्टी में निर्णय कौन ले रहा है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है. पार्टी का अध्यक्ष कौन है यह ही नहीं पता है. हमारी पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है. वहीं गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस कार्यसमिति की तत्काल बैठक बुलाने की मांग की थी. इसके अलावा कांग्रेस में युवा बनाम बुजुर्ग नेताओं की लड़ाई भी कई बार सार्वजनिक तौर पर सामने आ चुकी है.
मेंबरशिप फॉर्म में नया बदलाव
पार्टी के खिलाफ बयानबाजी को देखते हुए अब मेंबरशिप फॉर्म में नया बदलाव किया गया है. जिसमें एक शर्त ये भी है कि सदस्यता लेने वाले व्यक्ति को ये हलफनामा देना होगा कि वो पार्टी की नीतियों और निर्णयों की आलोचना सार्वजनिक तौर पर नहीं करेगा. इसके अलावा सदस्यता लेने वाला कोई भी व्यक्ति कानूनी सीमा से अधिक संपत्ति नहीं रखेगा.
खानी होगी ये कसम
फॉर्म में साफ़ साफ़ लिखा है कि- ‘मैं धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद व लोकतंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए सदस्यता लेता हूं. मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, खुले तौर पर या किसी तरह से पार्टी मंचों के अलावा, पार्टी की स्वीकृत नीतियों व कार्यक्रमों की आलोचना नहीं करूंगा. मतलब आप समझ ही गए होंगे की अगर अब कांग्रेस की सदस्य्ता लेनी है कांग्रेसी नेता बनना है तो आपको ये कसम जरूर खानी पड़ेगी.
सोनिया ने दिया था जवाब
बतादें कि जब जी-23 नेताओं ने कांग्रेस में अध्यक्ष को लेकर सवाल खड़े किये थे तो सोनिया गाँधी ने खुद इसका जवाब दिया था और कहा था कि मैं ही कांग्रेस की अध्यक्ष हूं और फैसले भी मैं ही ले रही हूं. उन्होंने यहां तक कह दिया था कि कुछ भी कहने के लिए मीडिया के सहारे की जरूरत नहीं है मुझसे डायरेक्ट कह सकते हैं.