जेल में बंद पूर्व सांसद अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन अब कानपुर से विधानसभा चुनाव लड़ेंगी. इसकी घोषणा खुद असदुद्दीन ओवैसी ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की सभा को संबोधित करते हुए की है.
शाइस्ता का छलका दर्द
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की सभा में मंच पर शाइस्ता परवीन ने अतीक अहमद के जेल से भेजे गए पत्र को पढ़ा जिसमें अतीक ने आरोप लगाया कि वो अखिलेश यादव की वजह से जेल में हैं. शाइस्ता ने कहा कि ये पत्र उनके पति ने प्रयागराज के लिए भेजा था. कानपुर के लिए भी पत्र आना था लेकिन आ नहीं सका. साथ ही शाइस्ता ने पुत्र को अकारण फंसाने का भी आरोप लगाया और मंच पर उनके आंसू निकल आये.
अखिलेश मुसलमानों के हक में नहीं बोलते
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव मुसलमानों के हक में नहीं बोलते हैं. उन्हें डर है कि ऐसा करने से उनके वोट खिसक जाएंगे. कोलकाता, महाराष्ट्र और झारखंड समेत अनेक राज्यों के नाम गिनवाए और कहा कि वहां हम चुनाव लड़े थे लेकिन भाजपा की सरकार नहीं बनी. ओवैसी ने कहा कि न तो केंद्र और न ही उत्तर प्रदेश के चुनाव में मुसलमानों ने भाजपा का वोट दिया. फिर भी केंद्र में मोदी और राज्य में योगी की सरकार है. हिंदुओं ने एकजुट होकर योगी, मोदी को वोट दिया इसलिए वह जीते.
हर जाति का नेता है, मुसलमानों का क्यों नहीं
शादियों में मुसलमानों से बैंड-बाजा बजवाया जाता था लेकिन उन्हें शादी में अंदर नहीं जाने दिया जाता था. राजनीति में भी मुसलमानों की स्थिति ऐसी ही है. सियासत में सिर्फ ताकत की आवाज सुनी जाती है. जिसके पास सांसद या विधायक जैसे नुमाइंदे हैं, सिर्फ उन्हें सुना जाता है. बाकी को छोड़ दिया जाता है. यहां तक कि हर जाति का एक नेता है, लेकिन मुसलमानों का कोई नेता नहीं है। यूपी में मुस्लिम आबादी 19 फीसदी है, लेकिन उनका एक भी नेता नहीं है. मेरी तमन्ना है कि मरने से पहले यूपी में 100 मुसलमान नेता हो.
उत्तर प्रदेश के मुस्लिमों को तय करना होगा कि 2022 में वो सिर्फ वोट डालने वाले बनेंगे या नेता बनेंगे. जिस समाज से नेता होता है, उस समाज की इज्जत की जाती है, लेकिन मुस्लिमों का कोई नेता नहीं है. मुस्लिमों को एक होकर वोट देना होगा.