चुनाव आया तो योगी सरकार को दलित याद आने लगे: अजय कुमार लल्लू
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी का दलित के घर खिचड़ी खाने को महज वोट की राजनीतिक स्टंट है। पांच साल तक योगी सरकार पूरे प्रदेश में दलितों को प्रताड़ित करती रही, उनके साथ भेदभाव, हिंसा तक की घटनाएं हुई हैं, लेकिन कार्रवाई के बजाय यह सरकार दलितों, पिछड़ों को सिर्फ जुमले सुनाते रहे और कोरे वादे करते रहे। हद तो तब हो गई 69,000 शिक्षक भर्ती घोटाले में योगी सरकार ने दलितों और पिछड़ों को मिले सांविधानिक अधिकारों को छीन लिया है और बेरोजगार लाखों अभ्यर्थी सड़कों पर आंदोलनरत हैं, लगातार योगी सरकार उनके दमन के हथकंडे अपना रही है। यह आरोप,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कही।
जब तक न्याय नहीं मिलेगा, अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे
श्री लल्लू ने कहा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट होने के बावजूद बहुचर्चित हाथरस कांड की बलात्कार पीड़ित युवती की मौत को 29 सितंबर को एक साल पूरा हो रहा है, मगर अभी तक उसका परिवार न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहा है। श्री लल्लू ने कहा कि परिवार ने अपनी बेटी की अस्थियां अभी तक सम्भाल कर रखी हुई हैं, परिवार कह रहा है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे। न्याय मिलने में देरी भले हो रही हो लेकिन याद कीजिए यूपी सरकार की पुलिस ने लड़की का अंतिम संस्कार करने में कोई देर नहीं लगाई थी, परिवार को शव सौंपने के बजाए आधी रात में ही आनन-फानन में जला डाला था। उन्होंने कहा कि पिछड़े, दलित, गरीब समाज ने भाजपा को पूरी तरह से नकार दिया है, इसलिए मंत्री और विधायक भाजपा छोड़कर जा रहे हैं। भाजपा सरकार ने 2019 वादा किया था कि जनगणना के साथ जातीय जनगणना भी कराई जाएगी। संसद में खुलेआम जाति जनगणना कराने से मोदी सरकार ने न कर दिया। मोदी सरकार का यह इनकार साबित करता है कि वह पिछड़ा, दलित समाज को धोखा दिया है। इसका खामियाजा उसे यूपी विधानसभा चुनाव में जरूर भुगतना पड़ेगा।