खराब हो चुके जबड़ों में बत्तीसी लगाई केजीएमयू के डाक्टरों ने,अंतराष्ट्रीय सम्मेलन में मिला प्रथम पुरुस्कार
केजीएमयू डेंटल का जलवा दिखा हैदराबाद में
लखनऊ। मुंह के अंदर होने वाली म्यूकोर्मिकोसिस बीमारी के बाद भी व्यक्ति के कृत्रिम जबड़े तैयार कर दांत लगाना संभव हो चुका है। संभव किया है डॉ.लक्ष्य के निर्देशन में केजीएमयू की डॉ.अदिति वर्मा ने ! दो मरीजों में सफलता मिल चुकी है, चार का इलाज चल रहा है। इस नई तकनीक की खोज को हैदराबाद में 17 से 19 दिसंबर में संपन्न हो चुकी कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांटोलॉजी पर 5वें अंतराष्ट्रीय सम्मेलन में दुनियाभर के प्रोस्थोडॉन्टिक्स विशेषज्ञों ने माना है, दुनियाभर से प्रस्तुत शोधों में इस शोध को सर्वश्रेष्ठ और बतौर प्रथम पुरुस्कार 35 हजार रुपये की कॉर्टिकोबैसल इम्लांट से सम्मानित भी किया गया है। इसके अलावा तीसरा स्थान भी पीएचडी स्कालर डॉ.आस्था ने अर्जित किया है और 15 हजार रूपये की कोॅर्टिकोबैसल प्रत्योरोपण पुरुस्कार प्राप्त किया। केजीएमयू कुलपति डॉ.विपिन पुरी ने गाइड समेत दोनो ही शोधार्थियों को शुभकामनाएं दी।
केजीएमयू को मिला दुनिया में सम्मान
एडिशनल प्रो. लक्ष्य कुमार ने बताया कि अमूमन, म्यूकोर्मिकोसिस होने पर अंदर जबड़ा व जबड़े की हड्डी सड़ कर गल जाती है। जिसकी वजह से मरीज को बिना दांत के ही जीवन यापन करना पड़ता है। उक्त समस्या पर शोध किया गया है और नाउम्मीद हो चुके म्यूकोर्मिकोसिस के मरीजों में कॉर्टिकल बोन में टाइटेनियम निर्मित जाइगोमैटिक और पर्टिगॉइड इम्प्लांट्स लगाकर मरीजों में कृत्रिम दांत लगाये गये हैं। उन्होंने बताया कि मरीज के जबड़े में शेष बची हड्डी में इस इम्पलांट को फिक्स किया जाता है और उसमें दांत फिक्स किये जाते हैं। प्रक्रिया सफल सिद्ध हुई, दोनों मरीज दांतों का उपयोग कर सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। कुलपति ने छात्रों के साथ ही इस नए उपचार पद्धति को बढ़ावा देने के लिए डॉ लक्ष्य और डॉ यू.एस. पाल को बधाई दी।