नैचुरोपैथी, बिना खर्च वाली प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है: डॉ.सतेन्द्र मिश्र
लखनऊ । प्राकृतिक चिकित्सा एक निरापद, औषधि विहीन, दुष्प्रभाव रहित, बिना लागत की चिकित्सा पद्धति है । इस पद्धति के प्रसार से सरकार द्वारा चिकित्सा के लिए खर्च की जा रही बड़ी रकम भी बचेगी । यह पद्धति वर्ष 1970 से प्राकृतिक चिकित्सा के रुप में मान्य है। और वर्ष 2018 से 18 नवंबर को राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के रूप में घोषित है। सरकार का आभार प्रकट करते हुए ये बातें गुरुवार को डॉ.सतेन्द्र मिश्र सेमिनार में कही।
कंचनकाया प्राकृतिक चिकित्सालय एवं योग केंद्र में मनाया गया चिकित्सा दिवस
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर कंचनकाया प्राकृतिक चिकित्सालय एवं योग केंद्र में आयोजित सेमिनार में डॉ.मिश्र ने कहा कि पद्धति को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक चिकित्सकों की नियुक्ति और प्राकृतिक चिकित्सालय खोलने की जरूरत है । केन्द्र संचालक वंदना मिश्रा ने,कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. केशव प्रसाद श्रीवास्तव व डॉ. मदन मोहन पांडे ने भी प्राकृतिक चिकित्सा के लाभपद्र अनुभव साझा किये। स्कूटर इंडिया लिमिटेड लखनऊ के पूर्व एमएस डॉ. सुरेंद्र कुमार सक्सेना व मुख्य अतिथि डॉ. के पी श्रीवास्तव ने प्राकृतिक चिकित्सा में आने वाली कठिनाइयों और प्राकृतिक चिकित्सा की विशेषताओं को उनके सामने रखकर उनका मार्गदर्शन किया ।
नेचुरोपैथी रत्न व चिकित्सा अवार्ड से हुआ सम्मान
इस मौके पर डा. केशव प्रसाद व डा. मदन मोहन पाण्डेय को ‘‘नेचुरोपैथी रत्न ’’ अलंकरण से सम्मानित किया गया । प्राकृतिक चिकित्सालय केंद्र का संचालन करने वाले युवा प्राकृतिक चिकित्सकों को प्राकृतिक चिकित्सा अवार्ड 2021 से सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में डा. राघवेंद्र सिंह (इंदौर), डा. रजनी मंध्यान, डॉ. सिद्धार्थ शंकर शुक्ला, डा. ओम नारायण अवस्थी, योगाचार्य रामसुंदर यादव, आकाश मिश्रा, रामनरेश व महेश कुमार तिवारी शामिल रहे ।