नोटबंदी को हुए पांच वर्ष, कालादिवस के रूप में याद करेगें देशवासी: कृष्णकांत पाण्डेय
नोटबंदी का फैसला अपरिपक्वता एवं अदूरदर्शिता का परिणाम
लखनऊ । मोदी सरकार की तुगलकी फैसला नोटबंदी को आज पांच वर्ष पूरे हो गये है। 50 दिन में अच्छे दिन दिखाने का वादा करने वाले मोदी ने आज 5 वर्ष पूरे होने पर भी अच्छे दिन नहीं दिख रहें हैं। गरीब जनता को 8 नवम्बर 2016 को एक बार फिर •ा्रमित किया गया और सपने दिखाये गये कि अब 15 लाख आ जायेगें, बेरोजगारी समाप्त हो जायेगी, महंगाई दूर-दूर तक दिखाई नहीं देगी, कानून का राज होगा, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं।
देश की सीमा पर हालात बद्त्तर हुये हैं, शहीदों की संख्या बढ़ रही है
उप्र कांग्रेस के प्रवक्ता कृष्णकांत पाण्डेय ने कहा कि नोदबंदी के उपरान्त पांच सौ और एक हजार के लगभग सभी नोट वापस आ गये। इससे सरकार का यह दावा र्निमूल साबित हुआ कि कालाधन की जमाखोरी बड़ी तादात में हुई है। सरकार का एक और दावा था कि नोटबंदी से आतंकवाद की रीढ़ टूट जायेगी। उन्होंने कहा कि देश की सीमा पर हालात बद्त्तर हुये हैं। बीते एक वर्ष में 590 जवान देश की सीमा पर शहीद हो चुके है, केवल पिछले एक माह में 16 जवान शहीद हुए है। 22 दिन तक आतंकवादियों से कश्मीर में मुठभेड़ चला, 9 जवान शहीद हुए, बिना किसी ठोस परिणाम के सरकार को आपरेशन बंद करना पड़ा, इससे सरकार का यह दावा भी र्निमूल साबित हुआ कि आतंकवाद, नोदबंदी से समाप्त हो जायेगा।
नोटबंदी से जीडीपी गिरी है और गिरकर पहुंच गई माईनस में
श्री पाण्डेय ने कहा कि नोटबंदी के बाद जीडीपी का 2.5 प्रतिशत से भी ज्यादा तत्काल नीचे गिर गई। नोटबंदी एवं वैश्विक महामारी कोरोना के चलते माइनस चौबीस तक जीडीपी चली गयी जो अब माइनस सेवन तक आई है इसमें भी नोटबदी का बड़ा असर रहा है। नोटबंदी से काम-धन्धें, उद्योग बदं हो गये और लोग बेरोजगार हो गये हैं।