Uncategorizedअपराधउत्तर प्रदेशलाइफस्टाइलस्वास्थ्य

‘रिलेटिव इंपोटेंसी’ ने तोड़ा बंधन…हाई कोर्ट ने विवाह को किया निरस्त


फिज़िकल रिलेशन बनाने मे नाकाम हुआ पति तो अदालत पहुंच गई पत्नी…

हाई कोर्ट ने विवाह को निरस्त करके दंपत्ति को किया आज़ाद

मुंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने एक युवा दंपति के 7 फेरो के साथ बने जन्म जन्म के बंधन को इस आधार पर तोड़ने की परमिशन दे दी की कि पति की ‘रिलेटिव इंपोटेंसी’ के कारण विवाह बरकरार नहीं रह सकता और दंपति की हताशा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ‘रिलेटिव इंपोटेंसी’ का मतलब ऐसी नपुंसकता से है जिसमें व्यक्ति किसी विशेष व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने में असमर्थ हो सकता है, लेकिन दूसरे व्यक्तियों के साथ वह यौन संबंध बनाने में सक्षम होता है। यह सामान्य नपुंसकता से भिन्न स्थिति होती है।

न्यायमूर्ति विभा कांकणवाड़ी और न्यायमूर्ति एस जी चपलगांवकर की खंडपीठ ने फैसले में यह भी कहा कि यह ऐसे युवाओं की मदद करने के लिए उपयुक्त मामला है जो एक-दूसरे के साथ मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से नहीं जुड़ पाए। इस मामले में 27 वर्षीय युवक ने फरवरी 2024 में एक पारिवारिक अदालत द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद उच्च न्यायालय का रुख किया था। पारिवारिक अदालत ने उसकी 26 वर्षीय पत्नी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने याचिका स्वीकार करने के शुरुआती चरण में ही विवाह निरस्त करने का अनुरोध किया था।

अदालत ने कहा- यह कोई असामान्य स्थिति नहीं है

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ‘रिलेटिव इंपोटेंसी’ एक जानी-पहचानी स्थिति है और यह सामान्य नपुंसकता से अलग है। अदालत ने कहा कि ‘रिलेटिव इंपोटेंसी’ की विभिन्न शारीरिक और मानसिक वजह हो सकती हैं। हाईकोर्ट ने कहा, ‘‘मौजूदा मामले में यह आसानी पता लगाया जा सकता है कि पति को अपनी पत्नी के प्रति ‘रिलेटिव इंपोटेंसी’ है। विवाह जारी न रह पाने की वजह प्रत्यक्ष तौर पर पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बना पाने में पति की अक्षमता है।’’ इसने कहा कि वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि यह एक ऐसे युवा दंपति से जुड़ा मामला है जिसे विवाह में हताशा की पीड़ा सहनी पड़ी है।

क्या है ‘रिलेटिव इंपोटेंसी’….

हिंदू विवाद अधिनियम की धारा 12 (1)A के तहत यह तलाक मांगने का वैध आधार है. धारा 12 (1) (ए) कहती है – कोई भी विवाह संपन्न हो गया हो, लेकिन इसे नपुंसकता की वजह से रद्द किया जा सकता है।

Related Articles

Back to top button