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लखीमपुर हिंसा: गवाहों के बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार को फटकारा, सुनवाई टली

सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुनवाई हुई. CJI एनवी रमन्ना ने एक बार फिर यूपी सरकार को फटकार लगाई है. इस बार भी गवाहों के बयान दर्ज से संबंधित पेंच अटका ही रहा.

CJI एनवी रमन्ना ने पूछे सवाल

CJI एनवी रमन्ना ने पूछा कि गवाहों के मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराए? इस पर जवाब देते हुए यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि 30 गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए हैं, इनमें से 23 चश्मदीद गवाह हैं. कुछ बाकी हैं, जिनका बयान होना है. इसके बाद बेंच ने फिर पूछा कि लखीमपुर में रैली के दौरान हजारों किसान मौजूद थे और आपको सिर्फ 23 चश्मदीद गवाह मिले ? इस पर हरीश साल्वे ने कहा कि हमने सार्वजनिक विज्ञापन देकर ये मांगा है कि जो भी चश्मदीद हैं, वे सामने आएं. घटना में सभी मोबाइल वीडियो और वीडियोग्राफी पर भी ध्यान दिया है.

वीडियो का परीक्षण जल्दी करवाइए

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘गंभीर गवाहों की पहचान जरूरी है. वीडियो का परीक्षण जल्दी करवाइए, नहीं तो हमें लैब को निर्देश देना होगा. अदालत ने कहा कि राज्य की तरफ से दाखिल हुई रिपोर्ट में जांच में प्रगति होती दिखी है. हम गवाहों की सुरक्षा का निर्देश देते हैं और सभी के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करवाए जाएं. अब इस मामले की सुनवाई 8 नवंबर को होगी.

यूपी सरकार से मांगी रिपोर्ट

वहीं सुनवाई के दौरान हिंसा में मारे गए श्याम सुंदर की पत्नी रूबी देवी और पत्रकार रमन कश्यप के परिवार ने जांच सही से न होने की शिकायत की है. सुप्रीम कोर्ट ने इसपर यूपी सरकार से रिपोर्ट देने को कहा है. बता दें कि इस महीने की शुरुआत में हुई हिंसक घटना में चार किसानों और एक पत्रकार सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में केंद्रीय मंत्री का बेटा भी मुख्य आरोपियों में शामिल है.

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