प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 81वें संस्करण को संबोधित किया है. आज विश्व नदी दिवस है इसको लेकर मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि हमारे लिए नदियां एक भौतिक वस्तु नहीं है, हमारे लिए नदी एक जीवंत इकाई है. तभी तो हम नदियों को मां कहते हैं.
याद दिलाई पंडित दीनदयाल की सीख
प्रधानमंत्री ने बताया की पंडित दीनदयाल ने सीख दी थी कि हमारे पास जो कुछ भी है, वो देश की वजह से ही तो है इसलिए देश के प्रति अपना ऋण कैसे चुकाएंगे, इस बारे में सोचना चाहिए. ये आज के युवाओं के लिए बहुत बड़ा सन्देश है. आज के नौजवान को ये जानना चाहिए कि साफ-सफाई के अभियान ने कैसे आजादी के आंदोलन को निरंतर ऊर्जा दी थी. ये महात्मा गांधी ही तो थे, जिन्होंने स्वच्छता को जन-आंदोलन बनाने का काम किया था. महात्मा गांधी ने स्वच्छता को स्वाधीनता के सपने के साथ जोड़ दिया था.
कोरोना शब्द हमारे कानों में गूंजता है
आज हम लोगों की जिंदगी का हाल ये है कि एक दिन में करीब सैकड़ों बार कोरोना शब्द हमारे कानों में गूंजता रहता है. 100 साल में आई सबसे बड़ी वैश्विक महामारी कोविड-19 ने हर देशवासी को बहुत कुछ सिखाया है. हेल्थकेयर और वेलनेस को लेकर आज जिज्ञासा और जागरूकता बढ़ी है. भारत में स्नान करते समय एक श्लोक बोलने की परंपरा रही है.
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिं कुरु।
पहले हमारे घरों में परिवार के बड़े ये श्लोक बच्चों को याद करवाते थे और इससे हमारे देश में नदियों को लेकर आस्था भी पैदा होती थी. विशाल भारत का एक मानचित्र मन में अंकित हो जाता था. नदियों के प्रति जुड़ाव बनता था. नदियों का स्मरण करने की परंपरा आज भले लुप्त हो गई हो या कहीं बहुत अल्पमात्रा में बची हो लेकिन एक बहुत बड़ी परंपरा थी जो प्रातः में ही स्नान करते समय ही विशाल भारत की एक यात्रा करा देती थी, मानसिक यात्रा!
“पिबन्ति नद्यः, स्वय-मेव नाम्भः”
हम नदियों की सफाई और उन्हें प्रदूषण से मुक्त करने का काम सबके प्रयास और सबके सहयोग से कर ही सकते हैं। ‘नमामि गंगे मिशन’ भी आज आगे बढ़ रहा है तो इसमें सभी लोगों के प्रयास, एक प्रकार से जन-जागृति, जन-आंदोलन, उसकी बहुत बड़ी भूमिका है. हमारे देश में कहा जाता है कि “पिबन्ति नद्यः, स्वय-मेव नाम्भः”, अर्थात नदियां अपना जल खुद नहीं पीती, बल्कि परोपकार के लिए देती हैं.
अर्थव्यवस्था को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि पिछले अगस्त महीने में यूपीआई से 355 करोड़ लेनदेन हुए हैं. आज औसतन छह लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का डिजिटल पेमेंट यूपीआई से हो रहा है. इससे देश की अर्थव्यवस्था में स्वच्छता, पारदर्शिता आ रही है.