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प्रसव उपरांत ब्लीडिंग हो तो बच्चेदानी में बैलून तकनीक का प्रयोग कर, उच्च संस्थान रेफर करें प्रसूता को : डॉ.एस पी जैसवार

मातृ मृत्यु दर में कमी लाने हेतु पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है सरकार : केशव प्रसाद मौर्य

लखनऊ। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कहा कि मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार पूरी गंभीरता के साथ काम कर रही है। प्रसवोपरांत रक्तस्राव होने से मृत्यु दर कम करने के सम्बन्ध में बचाव एवं इलाज की जानकारी हेतु, केजीएमयू द्वारा जो प्रशिक्षण दिया जा रहा है, निश्चित ही सराहनीय है ,इससे मातृ मृत्यु दर में कमी लाने में काफी मदद मिलेगी।

प्रसव उपरांत ब्लीडिंग होने वाली मौतों को रोकने के लिए प्रशिक्षण संबन्धी कार्यशाला

उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या, निजी होटल में फेडरेशन आफ ओबैस्ट्रिक एंड गाइनकोलॉजिकल सोसाइटी आॅफ इंडिया द्वारा मातृ दर में कमी लाने के उद्देश्य से आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में क्वीन मैरी की विभागाध्यक्ष डॉ.एसपी जैसवार ने पीपीएचईएमसी प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए बताया कि उप्र में प्रसव उपरांत ब्लीडिंग होने के कई कारण है, गांवों में घरों पर , पीएचसी व झोलाझाप क्लीनिकों में प्रसव होते हैं, इसके अलावा महिलाएं खून की कमी का शिकार होती हैं। इसलिए प्रसव उपरांत ब्लीडिंग होने पर जान का खतरा उत्पन्न हो जाता है। एैसे में अत्यधिक ब्लीडिंग के बाद प्रसूता को क्वीन मैरी या अन्य उच्च संस्थान भेजा जाता है तो तमाम प्रसूताएं रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं।

प्रैक्टिसनर्स को टेÑनिंग

इसलिए क्वीन मैरी ने अपने शिक्षकों, चिकित्सकों एवं रेजीडेंट्स चिकित्सकों के साथ ही सरकारी अस्पतालों एवं प्राइवेट प्रैक्टिसनर्स को टेÑनिंग दी है कि अगर ब्लीडिंग बढ़ रही हैं तो पहले ब्लीडिंग रोकने वाली आॅक्सीटोसिस आदि दवाएं दी जानी चािहये, इसके अलावा यूट्रस मसाज करना चाहिये। फिर भी न रुके तो मरीज को रिफर करने के पहले यूट्रस बैलून टेक्नीक ‘ यूबीटी ’का प्रयोग करना चाहिये, इसमें एक विशेष गुब्बारा होता है जो प्रसव उपरांत बच्चेदानी के मुंह में डालकर फुला दिया जाता है। जिससे ब्लीडिंग वाला स्थान दब जाता है और ब्लीडिंग रूक जाती है। इसके अलावा प्रसूता के पैरौ में एनएएसजी गार्मेट पहना देना चाहिये, जिससे खून का बहाव शरीर के ऊपरी हिस्से में अत्यधिक होगा और प्रसूता के जान के खतरे को कम करता है। यह दोनो प्रक्रिया प्रसूता को रास्ते में मृत्यु से बचाने में सहायक होती हैं।

भागीदारी

कार्यशाला आयोजन सचिव डॉ.प्रीती कुमार ने बताया कि प्रसवोपरांत रक्तस्राव अधिक मृत्यु दर का प्रमुख कारण है और पीपीएचईएमसी प्रोजेक्ट के तहत अस्पतालों मे पीपीएच रोकने की ट्रेनिंग दी गई, जिसके उत्साहजनक परिणाम निखर कर सामने आए हैं। कार्यशाला में उप्र टेक्निकल सपोर्ट यूनिट, केजीएमयू लखनऊ , बीएचयू, डब्ल्यूएचओ ,यूनिसेफ के अधिकारियों ने भागीदारी की।

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