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खांसी में शिशु को कफ सीरप नहीं, शहद के साथ तुलसी व अदरक दे

तीन दिवसीय यूपी पेडिकॉन

। अगर छह माह से बड़े बच्चे को खांसी आ रही है तो कफ सीरप न दे, बल्कि शहद में तुलसी और अदरक मिलाकर दे। अगर शिशु छह माह से छोटा है तो उसे केवल मॉ का दूध दें। यह बात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.सलमान खान ने दी।

डॉ सलमान खान लखनऊ

इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में तीन दिवसीय यूपी पेडिकॉन के अंतिम दिन शनिवार को डॉ.सलमान ने दी। 

उन्होंने कहा कि बदलते मौसम में बच्चों में बुखार, खांसी, जुकाम और दस्त होना आम बात है। ऐसे में अभिवावकों को खुद से एंटीबायोटिक दवा नहीं देनी चाहिए, बल्कि साधारण पैरासिटामॉल और आहार में तरल पदार्थ देना चाहिए। अगर दस्त आ रहे हैं तो ओआरएस घोल, दाल का पानी या चावल का माड आदि तरल पदार्थ अधिक से अधिक देना चाहिए, डिब्बा बंद आहार बंद कर दे।s

शिशुओं के इलाज में सस्ते और प्राकृतिक उपाय ज्यादा कारगर

आयोजन सचिव डॉ.संजय निरंजन ने बताया कि नवजात की सुरक्षा के लिए कार्यशाला में इलाज के सस्ते उपायों को बढ़ावा देने की सिफारिश की गयी है। जन्म के एक घंटे के अंदर बच्चे को मां का दूध जरूर देना चाहिए, अगर बच्चा दो किलो के कम वजन का है तो उसे कंगारू मदर केयर देना जरूरी है, और अधिक से अधिक समय तक मां की छाती से चिपका कर रखना चाहिए। हालांकि उन्होंने प्रीम्योचोर शिशुओं के इलाज को लेकर उन्होंने कहा कि फेफड़े कमजोर होते हैं, फूल नही पाते हैं, इसलिए वेंटीलेटर आदि अन्याधुनिक संसाधनों के सपोर्ट से इलाज देना आवश्यक है।

Dr sanjay nuranjan lko

अत्याधुनिक इलाज सहज उपलब्ध हो

कार्यशाला में बच्चों के इलाज संबन्धी अनुसंधान जरूरतमंद बच्चों तक जल्द से जल्द पहुंचाने पर चर्चा हुई। डॉ.संजय निरंजन ने बताया कि पोलियो की रोकथाम के लिए पोलियोवायरस वैक्सीन का अविष्कार 1960 में हुआ था मगर पोलियो उन्मूलन की सफलता 50 साल बाद 2010 में मिली, अगर अत्याधुनिक तकनीक सहज उपलब्ध हो तो बच्चों के लिए इलाज में अपेँक्षित लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि जन्म से 28 दिन के भीतर के नवजातों की मृत्युदर उप्र. में पिछले कई सालों से प्रति हजार में 30 की है, जबकि एक हजार में 12 का लक्ष्य है। मगर पांच साल तक के बच्चों की मृत्युदर कम करने में सफलता मिली है, उन्होंने बताया कि जननी सुरक्षा योजना, रूटीन टीकाकरण और राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध बेहतर पोषण आदि की वजह से मृत्युदर 60 से नीचे आ चुकी है, जबकि पूर्व में 62 थी।

बार-बार निमोनिया हो रहा है तो ईएनटी विशेषज्ञ से मिले

यदि बच्चे को बार-बार निमोनिया हो रहा है। तो ईएनटी विशेषज्ञ की सलाह पर बच्चे की नाक, कान और गले की जांच करानी चाहिए। यह सलाह अमेरिका से आए डॉ. उमाकांत खटवा ने दी। उन्होंने बताया कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया का कारण वायरस है। वायरस में एडेनोवायरस, राइनोवायरस, इन्फ्लूएंजा वायरस, रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस, पैराइन्फ्लूएंजा वायरस शामिल हैं।

हृयूमन मिल्क बैंक की जरूरत

    नवजात शिशु की बीमारियों और मृत्युदर को कम करने में हृयूमन मिल्क बैंकिंग की भूमिका पर चर्चा हुई। केजीएमयू बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. माला कुमार ने कहा कि नवजात शिशु की जान बचाने में ह्यूमन मिल्क बैंक अहम भूमिका अदा कर रहा है। राज्य के अन्य अस्पातालों में ह्यूमन मिल्क बैंक की स्थापना करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिशु की सेहत के लिए मां का अपना दूध सबसे अच्छा है।

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