पिछड़ों, अति पिछड़ों के लिए न्याय की लड़ाई : विकास श्रीवास्तव
लखनऊ। ओबीसी में शामिल गैर-प्रभावशाली जातियों को आरक्षण का पूरा लाभ दिलाने का वायदा करने वाली मोदी सरकार ने 2 अक्टूबर 2017 को गठित जस्टिस रोहिणी आयोग का कार्यकाल दसवीं बार जुलाई 2021 तक बढ़ा दिया। बीते 4 वर्षाे से प्रधानमंत्री मोदी रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने में आनाकानी कर रहे हैं। और अब चुनाव के समय वह अपने खोखले वादों को झूठे विज्ञापनों के जरिये प्रसारित कर रहे हैं। यह आरोप रविवार को कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने लगाया।
प्रियंका गांधी सभी पीडितों से मिली और न्याय हेतु सबकी लड़ाई लड़ी है
प्रवक्ता विकास ने कहा, यूपी कांग्रेस प्रभारी, राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी हैं जो उम्भा सोनभद्र में नरसंहार का मामला रहा हो, प्रयागराज में निषादों की नाव तोड़ने, उत्पीड़न का मामला रहा हो, निषादों के आर्थिक-सामाजिक अधिकारों की लड़ाई रही हो, सभी पीडितों से मिली और न्याय हेतु सबकी लड़ाई लड़ी है। उन्होंने कहा कि चार बार सपा और बसपा समेत भाजपा की सरकारें उप्र में सत्ता में रही हैं, परन्तु निषाद, कश्यप, बिंद, केवट, कोल समेत 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का मुद्दा अभी भी अधर में ही है। इन जातियों को विकास की मुख्यधारा से दूर रखा गया। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मोदी व योगी सरकार का दावा था कि उप्र विधानसभा चुनाव 2022 से पहले सर्वाधिक पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए एक प्रभावी कार्ययोजना का क्रियान्वयन किया जाएगा। हकीकत उलट है, 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाले में अतिपिछड़ों और दलितों के आरक्षण में मिले संवैधानिक अधिकारों को छीनने की बात रही हो, थाने में दलितों की पिटाई का मामला हो या हाथरस की दलित बेटी के साथ दुराचार और परिवार की मर्जी के बगैर रातोंरात उसका दाह संस्कार करने का मामला रहा हो। योगी सरकार का पिछड़ा-दलित विरोधी चेहरा पूरे देश-प्रदेश ने देखा है। इसी का परिणाम है कि पिछड़े, अतिपिछड़े नेताओ-मंत्रियों ने मोदी-योगी सरकार पर अपने समाज की सामाजिक-आर्थिक उपेक्षा का आरोप लगाकर भाजपा/ योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया।