इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी से चिकित्सा क्षेत्र में हुआ परिवर्तन: डॉ.रोहित अग्रवाल
केजीएमयू रेडियोडायग्नोसिस विभ्ज्ञा का 35 वां स्थापना दिवस समारोह संपन्न
लखनऊ। इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी ने इलाज की कई स्थितियों के प्रबंधन में एक बड़ा परिवर्तन किया है। जिस मरीज को पहले सर्जरी की आवश्यकता होती थी, अब इसे इंटरवेंशन रेडियोलॉजी द्वारा डे केयर के आधार पर उपचारित किया जा रहा है। जैसे, दिमाग की नसों के गुब्बारे, फालिज या स्ट्रोक में नसों के बंद होने पर या छाती व पेट में रक्त स्राव हो या पैरो की खून की नालियों में अवरोध हो, सभी स्थितियों में इंटरवेशनल रेडियोलोजी द्वारा बिना चीर फाड़ के ठीक किया जा रहा है। यह जानकारी गुरुवार को मेदांता हास्पिटल लखनऊ के डॉ.रोहित अग्रवाल ने, केजीएमयू के रेडियोडायग्नोसिस विभाग के स्थापना दिवस पर दी।
एमआरआई से ही प्रास्टेट कैंसर की पुष्टि हो जाती
रेडियोडायग्नोसिस विभाग के 35 वें स्थापना दिवस को हाइब्रिड मोड में नैदानिक निदेशक आई-मेड कैनबरा, आॅस्ट्रेलिया के डॉ.हिमांशु दिवाकर ने (पूर्व छात्र) ने बताया कि एमआरआई ने कार्सिनोमा प्रोस्टेट का जल्द पता लगाने में क्रांति ला दी है। एमआरआई से ही प्रास्टेट कैंसर की पुष्टि हो जाती है, अब मूत्र संबंधी लक्षणों से पीड़ित कई बुजुर्ग पुरुषों में चिंता और अनावश्यक बायोप्सी के झंझट को खत्म कर दिया है।
हृदय रोगों के निदान में मदद मिलेगी
विभागाध्यक्ष प्रो नीरा कोहली ने बताया कि पिछले 1 साल में एम०डी० की सीटें 4 से बढ़कर 9 हो गईं और यूपी में सरकारी क्षेत्र में विभाग सबसे ज्यादा पीजी सीट की संख्या वाला हो गया है । इस साल फैकल्टी की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई और 8 से बढ़कर 12 हो गई। विभाग ने मौजूदा 64 स्लाइस सीटी स्कैन के अलावा अत्याधुनिक 128 स्लाइस सीटी स्कैन का संचालन प्रारम्भ किया है। इससे कई जटिल बीमारियों के निदान में और हृदय रोगों के निदान में मदद मिलेगी। कोविड महामारी के दौरान विभाग ने चौबीसों घंटे बेड साइड एक्स रे और इंटरवेंशनल प्रक्रियाओं के साथ अपेक्षित सेवाएं प्रदान कीं हैं, जिनकी कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ० बिपिन पुरी ने अपने संबोधन में बहुत प्रशंसा की।