उत्तर प्रदेशलाइफस्टाइलस्वास्थ्य

आपके घर भी पहुुंचेंगी, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता : डॉ.केपी त्रिपाठी

फाइलेरिया की दवा अपने सामने खिलायेंगी

लखनऊ । आगामी 22 नवम्बर से फाइलेरिया उन्मूलन अभियान (एमडीए) शुरु हो रहा है। अभियान में इस बार आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया की दवा (एल्बेंडाजोल और डाईइथाइलकार्बामजीन) खिलाएँगी। दवा को चबाकर खाना है । खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है। इसलिए 11 बजे से दवा खिलानी शुरू की जाएगी तब तक सभी लोग नाश्ता कर लेते है। यह जानकारी शुक्रवार को राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ.के पी त्रिपाठी ने, मीडिया कार्यशाला में दी।

22 नवंबर से 7 दिसम्बर तक चलेगा फाइलेरिया उन्मूलन अभियान (एमडीए)

निजी होटल में सेन्टर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से मीडिया कार्यशाला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत सामूहिक दवा सेवन जनपद में 22 नवंबर से 7 दिसम्बर तक चलेगा। इस अ भि यान को सफल बनाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इसलिए आप लोग इस अभियान में सक्रिय भूमिका नि भा कर इसे सफल बनाएं। उन्होंने बताया कि जो लोग फाइलेरिया से पीड़ित हैं वह भी इस दवा का सेवन जरूर करें ।

3673 टीमें, 753 सुपरवाइजर लगेंगे अभियान में

नोडल अधिकारी डॉ.त्रिपाठी ने बताया कि लखनऊ को 19 इकाइयों में बांटा गया है । ईकांईंयों में 11 ग्रामीण और 8 शहरी हैं। कुल 3673 टीमें घर घर जाकर लोगों को अपने सामने ही दवा खिलाएंगी । हर टीम एक दिन में 25 घरों का भ्रमण करेगी। पूरे अभियान की निगरानी के लिए 753 सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं । प्रतिदिन शाम को पूरे दिन के अभियान की समीक्षा की जाएगी। जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी पाथ संस्था से डा. (मेजर) पूनम मिश्रा तथा सीफार की टीम उपस्थित रही ।

दवा सेवन के बाद संभावित लक्षण-

  • कभी-कभी दवा का सेवन करने के बाद सिर दर्द, शरीर दर्द, बुखार, उल्टी तथा बदन पर चकत्ते एवं खुजली देखने को मिलती है लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है । आमतौर पर स्वत: ठीक हो जाते हैं ।

क्या होता है फाइलेरिया
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ. तनुज ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला संक्रामक रोग है, जिसे सामान्यत: हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है। मच्छर जब किसी फाइलेरिया ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के परजीवी जिन्हें हम माइक्रो फाइलेरिया कहते हैं, वह मच्छर के रक्त में पहुँच जाता है और यही मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के परजीवी स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में पहुँच कर उसे संक्रमित कर देते हैं । इस बीमारी में लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन जिसके कारण हाथ ,पैरों में सूजन( हाथी पाँव) , पुरुषों में अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन या जाती है । उन्होंने बताया कि पाँच सालों तक लगातार साल में एक बार दवा का सेवन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है । फाइलेरिया से हम एमडीए के तहत दवा खाकर बच सकते हैं ।

Related Articles

Back to top button