प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान-भारत सम्मेलन को वीडियो लिंक के जरिये संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण हम सभी को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. ये चुनौतीपूर्ण समय भी भारत-आसियान मित्रता की परीक्षा थी.
‘आसियान-भारत मित्रता वर्ष’ के रूप में मनाएंगे
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में हमारा आपसी सहयोग भविष्य में हमारे संबंधों को मजबूत करता रहेगा और हमारे लोगों के बीच सद्भावना का आधार बनेगा. अगले वर्ष हमारी पार्टनरशिप के 30 वर्ष पूरे हो रहे हैं. और भारत की आजादी के भी 75 वर्ष अगले वर्ष पूरे हो जाएंगे. भारत को इस बात का गर्व और हर्ष है कि इस महत्वपूर्ण पड़ाव को हम ‘आसियान-भारत मित्रता वर्ष’ के रूप में मनाएंगे.
संगठन की एकजुटता ही भारत की प्राथमिकता
इतिहास गवाह रहा है कि भारत और आसियान के बीच हजारों साल से जीवंत संबंध रहे हैं. इसकी झलक साझा मूल्य, परम्पराएं, भाषाएं, ग्रन्थ, वास्तुकला, संस्कृति, खान-पान में भी दिखाई देती है. इस संगठन की एकजुटता हमेशा से ही भारत की प्राथमिकता रही है. इसके साथ ही पीएम मोदी ने इस वर्ष आसियान सम्मेलन की अध्यक्षता करने के लिए ब्रुनेई के सुल्तान हसनाल बोलखी को बधाई भी दी. और कहा कि भारत ने हमेशा ही आसियान के सिद्धांतों का पालन पूरी ईमानदारी के साथ किया है.
ये देश ले रहे हिस्सा
इससे पहले पीएम मोदी ने अपने एक ट्वीट में लिखा था कि वो आसियान सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए काफी उत्सुक हैं. बतादें कि आसियान देशों के सम्मेलन में भारत के अलावा इंडोनेशिया, ब्रुनेई, मलयेशिया, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, लाओस और म्यांमार भी हिस्सा ले रहे हैं. ये सम्मेलन उन देशों की चिंता को भी दर्शाने के लिए काफी अहम बनने वाला है, जो लगातार चीन की सीनाजोरी से परेशान हैं. विदेश मंत्रालय में सचिव-पूर्व रीवा गांगुली दास ने बताया कि इस सम्मेलन की खास बात ये भी है कि वर्ष 2017 के बाद पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं. इससे पहले ट्रंप ने इस सम्मेलन में भागीदारी की थी, लेकिन उसके बाद वो इस सम्मेलन से अलग हो गए थे.