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पत्रकारिता की दिशा तय करने को मानक स्थापित करने होंगे : मनोज मिश्र

पत्रकारिता में न्यूनतम योग्यता और अनुभव की अनिवार्यता न होना बड़ी विडंबना

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्र ने पत्रकारिता की गिरती साख पर जताई चिंता

लखनऊ। समय के साथ पत्रकारिता में भी बड़े बदलाव हुए हैं, प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ सोशल मीडिया के कई प्लेटफार्म मौजूद हैं, जिनके माध्यम से किसी भी बात को आसानी से पूरी दुनिया तक पहुंचाया जाने लगा है। साथ ही चुनातियां भी बढ़ी हैं, इन चुनौतियों से परंपरागत पत्रकारिता को रूबरू होना पड़ रहा है, इसलिए भावी पीढ़ी के लिए कुछ ऐसे मानक स्थापित करने का प्रयास करने होंगे ताकि वह पत्रकारिता की दिशा तय कर सकें। यह बात वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार मिश्रा ने कहीं । वह एनयूजे, लखनऊ की ओर से 6 – विधायक निवास स्थित प्रदेश कार्यालय में गुरुवार को राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।


चुनौतियों की बात बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की अपेक्षा उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के लिए सर्वाधिक चुनौतियां हैं, मगर यहां ऐसा भी नहीं है कि खबर लिखने पर एफआईआर दर्ज हुई हो, उसके कारण अलग हैं।

साथ ही मनोज मिश्र ने सभी पत्रकारों से आग्रह किया कि आपस में टांग खिंचाई नहीं करें, एकता स्वयं निर्मित होती जाएगी। पत्रकार स्वयं पत्रकारों की इज्जत करना शुरू करें। पत्रकार की कमियां को व्यक्तिगत बताएं, प्रशंसा सामूहिक करें, आपसी एकता का भाव स्वतः मजबूत होने लगेगा। उन्होंने पत्रकारिता की दिशा और दशा सुधारने के लिए नियमित कार्यशालाएं, संगोष्ठी और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया।

आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस से चुनौती को तैयार रहें पत्रकार

विशिष्ट वक्ता नवल कांत सिन्हा ने कहा कि अंग्रेजों शासन काल से लेकर आजाद भारत में आपातकाल के दौरान दुरूह परिस्थितियों में लोकतंत्र बचाने में पत्रकारों की भूमिका पर प्रकाश डाला। कहा कि वर्तमान में भी पत्रकारों को साबित करना है कि हम सरस्वती पुत्र हैं। अत्याधुनिक टेक्नालॉजी से आने वाली चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में पत्रकारों को एआई तकनीक से भी निपटने के लिए तैयार करना होगा। स्वयं को अपडेट करना पड़ेगा।

राजनेताओं एवं अधिकारियों के प्रवक्ता बन गए पत्रकार

एनयूजे, उत्तर प्रदेश के संयोजक प्रमोद गोस्वामी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कथन को कोट करते हुए कहा कि ‘लोकतंत्र में पत्रकार अगर सत्ता से हाथ मिला लेता है तो यह अनैतिक है।’ उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में पत्रकारों ने खुद को राजनेताओं एवं अधिकारियों का प्रवक्ता बना लिया है। यह पत्रकारिता का सबसे बुरा दौर है। आज संपादक नाम की संस्था पूरी तरह खत्म हो गई है। अब संपादकीय विभाग में भी मालिकों का हस्तक्षेप इस कदर बढ़ गया है कि उनको संपादक के बजाय लाइजनर अधिक मुफीद लगने लगा है। पत्रकारिता के क्षरण के लिए सिर्फ पत्रकार ही नहीं, सिस्टम और समाज भी बराबर का साझीदार है। पत्रकार आज के दौर में भजन मंडली बन गए हैं।


अपनी विचारधारा को किनारे रख कर करें पत्रकारिता
वरिष्ठ पत्रकार राजवीर सिंह ने कहा कि पत्रकारिता के दौरान पत्रकारों को स्वयं की विचारधारा किनारे रख देनी चाहिए। पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर पत्रकारिता करने से हम अपने लिए ही मुसीबतें खड़ी करेंगे। अध्यक्षता करते हुए एनयूजे, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष वीरेन्द्र सक्सेना ने कहा कि रिपोर्टर मीडिया संस्थानों में एक छोटा सा पुर्जा होता है, मगर इस पुर्जे के बिना पूरी मशीनरी किसी काम की नहीं है। मीडिया मालिकों को चाहिए कि पत्रकार पर हाथ होना बहुत जरूरी है, इसके बिना भी काम नहीं चलने वाला है।

इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार के बक्स सिंह, सुरेंद्र कुमार दुबे, एनयूजे स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजय कुमार ने भी पत्रकारिता के नए व पुराने स्वरूप पर चर्चा करते हुए वर्तमान की चुनौतियों से आगे निकलने के टिप्स दिये। सभी ने कहा कि पत्रकारिता कोई नौकरी नही है, बल्कि जज्बे और हौसले के साथ विचारधारा को आगे बढ़ाने को पत्रकारिता कहते हैं। कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री पदमाकर पाण्डेय ने किया।
मौजूद रहें
कार्यक्रम में एनयूजे में प्रदेश महामंत्री संतोष भगवान, प्रदेश कोषाध्यक्ष अनुपम चौहान, प्रदेश प्रवक्ता डॉ.अतुल मोहन सिंह, जिलाध्यक्ष आशीष मौर्य, जिला कोषाध्यक्ष अनुपम पांडेय, मनीष श्रीवास्तव, अखिलेश मयंक, मनीष वर्मा, अभिनव श्रीवास्तव, अरुण शर्मा टीटू, मीनाक्षी वर्मा, संगीता सिंह, मनीषा सिंह, गरिमा सिंह, पंकज सिंह चौहान, अनिल सिंह, धीरेन्द्र मिश्रा, धीरेन्द्र मिश्र, रणवीर सिंह, किशन सेठ, श्यामल त्रिपाठी, अश्विनी जायसवाल, नागेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

स्मृति चिन्ह से सम्मानित हुए
विशिष्ट वक्ता मनोज मिश्र व नवलकांत सिन्हा, एनयूजे संयोजक प्रमोद गोस्वामी, प्रांतीय अध्यक्ष वीरेन्द्र सक्सेना, वरिष्ठ पत्रकार के बक्श सिंह, सुरेन्द्र दुबे, एनयूजे स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजय जायसवाल , प्रांतीय महामंत्री संतोष भगवन, प्रांतीय कोषाध्यक्ष अनुपम चौहान और वरिष्ठ पत्रकार राजबीर सिंह

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