शुरुआती चरण में सीओपीडी की पुष्टि करने को तकनीक विकसित होनी चाहिए : डॉ.विपिन पुरी
लखनऊ। सीओपीडी, दुनिया में मौत का तीसरा मुख्य कारण है। अगर इससे बचना है तो सबसे पहले धूम्रपान को छोड़ना होगा, इसके अलावा प्रदुषण मुक्त समाज में रहें और स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना होगा। इसके अलावा चिकित्सकों और शोध चिकित्सा विद्यार्थियों को, चाहिये कि एैसी तकनीक पर शोध करे जिससे शुरुआती चरण में सीओपीडी को पहचान हो सके। यह बात केजीएमयू में पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन वि•ााग में सीओपीडी जागरूकता कार्यक्रम में केजीएमयू कुलपति ले.ज. डॉ.विपिन पुरी ने कही।
धुंआ सीधा फेफड़ों को प्रभावित करता है
शताब्दी अस्पताल के सभागार में, क्रांनिक आॅब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज(सीओपीडी) दिवस पर आयोजित सीओपीडी अपडेट 2021 कार्यक्रम में पूर्व विभागाध्यख डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि सीओपीडी का मुख्य कारण धुंआ हैं, इसलिए सभी प्रकार के धुंए से बचना होगा। घर के बाहर के साथ ही घर के अंदर का धुंआ सीधा फेफड़ों को प्रभावित करता है। कार्यक्रम संयोजक डॉ.वेद प्रकाश ने बताया कि सीओपीडी बचाव में केवल दवाओं पर ही नहीं, बल्कि उचित पोषण, नियमित व्यायाम, पुनर्वास और इंफलुएंजा के खिलाफ टीकाकरण, न्यूमाकोकस व चिकित्सक की सलाह का अनुशरण करना चाहिये। कार्यक्रम में विभाग के डॉ.आलोक नाथ, डॉ.राहुल चंदोला ने भी जागरूकता में अपने विचार रखें। इसअवसर पर डॉ.वीरेन्द्र आतम, डॉ.एसके वर्मा, डॉ.राजीव गर्ग, डॉ.आनन्द कुमार श्रीवास्तव, डॉ.सूर्यकांत एवं डॉ.विक्रम सिंह आदि मौजूद रहें ।