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घर वाले ही नही, डॉक्टर भी हुए थे भौचक , अजीबो -गरीब हर्निया के इलाज में पेट खोलने पर 3 तकनीकी उपयोग करनी पड़ी

डॉक्टर बने भगवान, जटिल सर्जरी कर जीवन बचाया

विकट हार्निया का हुआ आॅपरेशन, आंते लटक कर दूसरा पेट बना थी
पेट के नीचे लटक रहा था हर्निया


लखनऊ। बाराबंकी निवासरी 42 वर्षीय धनपती देवी, को बीते कई वर्षो से हार्निया की समस्या थी। समस्या बढ़कर पेट के बाहर अर्थात पेट का नीचला हिस्सा करीब चार किलों से ज्यादा और 9 इंच लंबा चौड़ा बाहर लटकने लगा। अंतत: किसी के बताने पर हिन्द इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज, सफेदाबाद में भर्ती हुई, जहां डॉॅ.आरबी सिंह ने डॉ.निशात नसर के साथ, जटिल सर्जरी को संपन्न किया और मरीज को पोस्टआॅफ वार्ड में भर्ती है तेजी से स्वास्थ्य लाभ ले रही है।

सर्जन डॉ.आर बी सिंह ने बताया कि धनपती ओपीडी में आई थी, जांच उपरांत ज्ञात हुआ कि हार्निया है और पेट के बड़े हिस्से में हार्निया होने से आंते बाहर निकलचुकी हैं। पेट लटक चुका था। उठना बैठना चलना फिरना दूभर था मरीज महिला का। स्थानीय डॉक्टरों से दवा लेकर, राहत महसूस कर रही थी। मगर, स्थाई इलाज मयस्सर नही हुआ। महिला को तीन पूर्व अस्पताल में भर्ती किया और बुधवार को पेट में बड़ा चीरा लगाकर, बड़ा आॅपरेशन किया। इस आॅपरेशन के दौरान तीन तकनीक अपनाई
गई, सबसे पहले हार्नियोक्टमी की गई, साथ ही हार्नियारेरथेरेपी और हार्नियोप्लास्टी की गई। ओपन सर्जरी में हार्निया को काटकर आंतों को अंदर धकेलकर, कर रिपेयर किया गया। हार्निया कट करने से गैप बढ़ गया, जिसे बंद करने के लिए बहुत बड़ी सिन्थेटिक जाली स्थापित की गई। डॉ.सिंह ने बताया कि अब  आंते सहज रूप से बाहर नही आयेगी। उन्होंने बताया कि जटिल सर्जरी थी, मगर एनेस्थेटिक डॉ.निशात नसर और सर्जन डॉ. मो.फैजल व डॉ.रवि, ओटी सहायक नीरज शामिल रहें।

डॉ.सिंह ने बताया कि यह बीमारी मरीज में जागरूकता का आभाव और लापरवाही की वजह से समस्या बढ़ी थी। अगर, शुरुआती दौर में ही बचाव व   इलाज प्राप्त कर लिया होता तो समस्या विकराल न होती और जीवन दूभर न होता।  जटिल सर्जरी संपन्न होने से अस्पताल प्रशासन तो प्रसन्न है कि, मरीज के परिवारीजनों ने चिकित्सकों के प्रति विशेष आभार व्यक्त करते हुए कहा, चिकित्सकों की वजह से हमारे परिवार की खुशियां लौटी हैं।

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