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बिखरने के अहसास से अखिलेश ने नई सदस्यता पर लगाया विराम

लखनऊ। चुनावी दंगल में सत्ता की चासनी के चाहत में भाजपा छोंड़ों सपा ज्वाइन करने के अभियान को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वयं शनिवार को रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि आज के बाद किसी भी दल से आने वाले नेता को सपा सदस्यता नही देगी। अब भाजपा सहज रूप से अपने प्रत्याशियों की सूची जारी करें। अखिलेश द्वारा सदस्यता पर रोक लगाते ही, भाजपा से टिकट न मिलने पर बांट जोहने वालों के मंसूबे ध्वस्त हो गये। उसी क्रम में श्री यादव ने गठबंधन करने पहुंचे भीम आर्मी पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण को मात्र दो सीट देने की पेशकश कर, गठबंधन की संभावनाओं को बे्रक लगा दिया है।

पार्टी के अंदर उठ रही कलह के कयास
भाजपा में एका-एक मंत्री व विधायकों की भगदड़ का स्वागत करने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ज्वाइनिंग कराने के दूसरे दिन ही रोक लगाने के पीछे,पार्टी के अंदर उठ रही कलह के कयास लगाये जा रहे हैं। सूत्रों की माने तो जिस कदर थोक के भाव में, भाजपा से निकलकर अपनी और परिवार सदस्यों की सीट सुरक्षित हथियाने को स्वामी प्रसाद मौर्या समेत तमाम विधायकों ने सपा ज्वाइन की है, उससे अखिलेश के चेहरे पर खुशी जरूर दिख रही है मगर अंदर खाने की माने तो माथे पर पेशानी बढ़ गर्इं हैंै। बीते 5 वर्षो से सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहें मूल सपाई नेताओं और कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करना वास्तव में सीधी उंगली से घी निकालने जैसा हो गया है। निरंतर मंथन से, उन्हें अपने मूल नेता और मतदाताओं के विश्वास को कायम रखने की नियत से ही,सपा ने नई सदस्यता पर रोक लगाई है।

भाजपा में जाने की संभावनाएं सोशल मीडिया पर वायरल हो रही

ज्ञातव्य होकि सपा के ब्राम्हण नेता वर्तमान विधायक मनोज पाण्डेय व लखनऊ में नेता अभिषेक मिश्र समेत कई नेताओं के भाजपा में जाने की संभावनाएं सोशल मीडिया पर उसी दिन से वायरल हो रही थी, जिस दिन स्वामी प्रसाद ने भाजपा से इस्तीफा देकर सपा में आस्था जताई थी। उनके साथ करीब 10 अन्य मंत्री, विधायकव नेताओं ने सपा की सदस्यता शुक्रवार को ग्रहण की और सपा से चुनाव लड़कर, भाजपा को फर्श पर लाने का दावा ठोंका, साथ ही आगान्तुक नेताओं के जोश ने उस कार्यक्रम में सपा के मूल नेता व कार्यकर्ताओं को पीछे धकेल दिया। जिसका अहसास स्वयं अखिलेश यादव ने किया होगा,शायद यही वजह है कि उन्होंने 24 घंटे भी नही बीते की, नई सदस्यता पर रोक लगा दी।

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