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चिकित्सकीय सेवाओं का अभाव झेलने वालों का दर्द नीति आयोग ने समझा

लखनऊ। कुछ दिन पूर्व, कोरोना महामारी के दौरान प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत सभी ने देखी और बहुतायत ने झेली भी। लोग आक्सीजन, बेड व दवाओं के अभाव में दम तोड़ रहें थे। इस हकीकत पर नीति आयोग की रिपोर्ट ने भी अपनी सहमति व्यक्त कर पुष्टि कर दी है। रिपोर्ट्स ने सिद्ध कर दिया है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं गर्त में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में भी बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का खुलासा हुआ है।

नीति आयोग की रिपोर्ट ने माना प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं ठीक नहीं हैं

उक्त आरोप लगाते हुए उप्र कांगे्रस मीडिया विभाग के चेयरमैन नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा, नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रदर्शन के मामले में उत्तर प्रदेश की स्थिति खस्ताहाल है। अभी ज्यादा समय नहीं बीता है, जब कोविड की विभीषिका ने उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की कलई खोल दी। बावजूद मुख्यमंत्री योगी, स्वास्थ्य को लेकर राज्य की जनता से कोरे वादे कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री को इस पर जवाब देना चाहिए

उन्होंने कहा कि जनता अभी कोरोना का वह दौर भूली नहीं है, जब लोग चिकित्सकीय सेवाओं के अभाव में दम तोड़ रहे थे। गंगा में मृतकों की लाशें तैर रही थीं, अनगिनत लोगों को परिवार उजड़ गया। इसके बावजूद इसके बावजूद प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत प्रदेश के जिम्मेदार मंत्रियों का यह कहना कि आॅक्सीजन की कोई कमी नहीं थी, जनता के साथ धोखा और पीड़ितों के जले पर नमक छिड़कने जैसा है। नसीमुददीन नेकहा राज्य की जनता सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों, दवाइयों और ढांचागत सुविधाओं की कमी झेल रही है। मुख्यमंत्री को इस पर जवाब देना चाहिए।

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