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नए घुटनों को बचाने को जागरूकता में दौडेंगी विंटेज कारें

दिनचर्या अपनाएं कि नी-रिप्लेसमेंट की नौबत न आए : डॉ.संदीप
विश्व आर्थराइटिस दिवस आज

लखनऊ। आर्थराइटिस जोड़ों की आम समस्या है। मुख्यतया सबसे पहले व बड़ी दिक्कत घुटनों में आती है। कार्टिलेज खत्म हो जाने पर चलना फिरना दूभर होने के बाद, नी रिप्लेसमेंट ही एक मात्र इलाज होता है। इसलिए जरूरत है कि योग व खान-पान के जरिये बीमारी से बचाव किया जाये, अगर बीमारी के लक्षण आ चुके हैं तो अतिशीघ्र विशेषज्ञ से मिलकर, इलाज व परामर्श लिया जाये ताकि घुटनों को पूरा खराब होने से बचाया जा सके और आपकी दिनचर्या प्रभावित न हो। यह कहना है कि गोमती नगर स्थित हेल्थ सिटी के आर्थोपैडिक विशेषज्ञ डॉ.संदीप कपूर व डॉ.संदीप गर्ग का।


विश्व आर्थराइटिस दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को अस्पताल परिसर में पत्रकार वार्ता के दौरान डॉ.संदीप ने बताया कि आर्थराइटिस फाउंडेशन द्वारा 11 वां जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है। मंगलवार को, विश्व आर्थराइटिस दिवस के दिन अस्पताल से सुबह 6 बजे, साइकिलथॉन ,विंटेज कार रैली का शुभारंभ होगा। रैली को एडीए के वीसी अक्षय त्रिपाठी हरी झंडी दिखायेंगे। रैली जनेश्वर मिश्र पार्क पर संपन्न होगी। इसके अलावा अस्पताल के समीप स्थित पार्क में योगा का आयोजन किया जायेगा।

उन्होंने बताया कि साइकिलथॉन में 100 से 150 साइकलर होंगे, जबकि विंटेज कार रैली में 6 से 8 पुरानी कारें होंगी।

आधुनिक तकनीक और जागरूकता ने बढ़ाई डिमांड
डॉ.संदीप गर्ग ने बताया कि पूर्व में लोग नी रिप्लेसमेंट को नही कराना चाहते थे, और बीमारी को लाइलाज मानकर मुसीबत भरा जीवन व्यतीत करते थे। मगर, अब आधुनिक चिकित्सा तकनीक और लोगों में जागरूकता बढ़ने से नी-रिप्लेसमेंट कराने वालों की संख्या बहुत बढ़ चुकी है। कोरोना महामारी की वजह से बीते डेढ़ से रिप्लेसमेंट कराने के प्रतीक्षारत मरीज और समयानुसार नये मरीजों के बढ़ने से वर्तमान में नी-रिप्लेसमेंट कराने वालों भी बड़ी संख्या अस्पतालों में पहुंच रही हैं।

कृत्रिम जोड़ों की गुणवत्ता बढ़ी
संख्या अधिक होने की वजह से रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने के लिए आर्थराइटिस के मरीजों को इंतजार करना पड़ रहा है। डॉ.गर्ग ने बताया कि अब रिप्लेसमेंट छोटे चीरों से और अच्छे मैटेरियल से निर्मित कृत्रिम इंप्लांट आ चुके हैं जो कि लंबे समय तक बिना किसी दिक्कत के सार्थक सिद्ध हो रहे हैं, जिसकी वजह से लोगों में नी-रिप्लेसमेंट कराने की डिमांड बढ़ी है।

कोविड ने बढ़ाई आर्थराइटिस मरीजों की समस्याएं
डॉ.संदीप कपूर ने बताया कि कोविडकाल में लॉकडाउन की वजह से मॉर्निग वॉक पर पाबन्दी लग गई थी। लोगों का घर के बाहर चलना-फिरना बंद हो गया था। घरों में कैद रहने से लोगों का वजन भी बढ़ा है। इस तरह के तमाम कारण हैं जिनकी वजह से आर्थराइटिस मरीजों को अस्पतालों में इलाज मिला और नही चिकित्सकीय परामर्श । लोगों में हड्डी स्ांबन्धित समस्याएं बढ़ गई, शुरुआती चरण की आर्थराइटिस जटिल रूप घारण कर चुकी है,इसलिए मरीजों का इलाज बढ़ गया है।

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