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देश-समाज को दशा-दिशा की राह दिखाई पत्रकारिता ने : रजनी तिवारी

मुख्य अतिथि राज्य मंत्री रजनी तिवारी को सम्मानित करते lko Nuj के अध्यक्ष आशीष मौर्य और महामंत्री पद्माकर पाण्डेय



हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर एनयूजे (आई), उत्तर प्रदेश के कार्यक्रम में बोलीं उच्च शिक्षा राज्य मंत्री
अतिथियों ने लखनऊ इकाई से जुड़े पत्रकारों को ‘एनयूजे (आई) सम्मान समारोह’ से किया अलंकृत

लखनऊ। देश और समाज को जब-जब दशा-दिशा दिए जाने की जरूरत आई, तब-तब पत्रकारिता ने सकारात्मक भूमिका निभाई। परतंत्र भारत में पत्रकारिता ने न सिर्फ स्वतंत्रता के मतवालों को प्रेरित किया बल्कि पत्रकारों ने स्वयं सक्रिय सहभागिता भी निभाई। उक्त बातें बतौर मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने शुक्रवार को होटल दीप पैलेस में कहीं। वह नेशनल जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (आई), उत्तर प्रदेश की ओर से ‘हिन्दी पत्रकारिता दिवस-2025’ पर हुए ‘एनयूजे (आई) सम्मान समारोह’ एवं ‘कृत्रिम बौद्धिकता के दौर में पत्रकारिता’ संगोष्ठी में बोल रही थीं।

अमृत विचार के संपादक अनिल त्रिगुणायत को nuj सम्मान से सम्मानित करती उच्च शिक्षा राज्य मंत्री

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने आगे कहा, स्वतंत्रता के बाद देश और समाज की आवश्यकता के अनुरूप पत्रकारों ने हमेशा सकारात्मक राह दिखाई। आपातकाल के दौरान जब जरूरत थी तो पत्रकारिता ने निरंकुश सत्ता को आईना दिखाया। जब सरकारों ने बेहतर कार्य किए तो सार्वजनिक पीठ भी थपथापाई। सेना के शौर्य के समर्थन में पत्रकारिता ने किसी योद्धा से कमतर भूमिका का निर्वहन नहीं किया। उन्होंने कहा कि पत्रकार समाज को दिशा देने वाले योद्धा हैं। आप सभी न्याय दिलाने से लेकर सामाजिक जागरूकता तक की प्रत्येक प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसी संगोष्ठियों से निश्चित ही विचारों का अमृत निकलेगा।

Lko Nuj के महामंत्री एवं पत्रकार पद्माकर पाण्डेय को सम्मानित करती राजमंत्री रजनी तिवारी एवं प्रमुख सचिव अमित घोष

इससे पहले विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह के शुभकामना संदेश का वाचन किया गया। बतौर विशिष्ट अतिथि प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन अमित कुमार कुमार घोष ने कहा कि पत्रकारों को हमेशा सीखते रहना चाहिए। एआई का दौर भी पत्रकारों को और सिखाएगा और उनके काम में मदद करेगा। श्री घोष ने पत्रकारों के संघर्ष को सम्मान देते हुए बेहद संवेदनशील शब्दों में कहा, आप सभी समाज के असली प्रहरी हैं। तकनीक चाहे जितनी उन्नत हो जाए, पत्रकार की कलम का असर आज भी जीवंत है।’ संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार राजीव श्रीवास्तव, ज्ञानेंद्र शुक्ल, अनिल त्रिगुणायत, मनोज वाजपेयी, एआई विशेषज्ञ प्रखर पाठक ने अपने महत्वपूर्ण विचार रखे।

वायस ऑफ lko के संपादक मनोज बाजपेई को nuj सम्मान से सम्मानित करती रजनी तिवारी

कार्यक्रम की अध्यक्षता एनयूजे, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष वीरेंद्र सक्सेना ने की। मंच पर संगठन के संरक्षक के. बख्श सिंह, सुरेंद्र कुमार दुबे एवं एनयूजे स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन के उपाध्यक्ष अजय कुमार भी रहे। प्रदेश महामंत्री संतोष भगवन, राष्ट्रीय कार्यपरिषद सदस्य हरीश सैनी, प्रदेश कोषाध्यक्ष अनुपम चौहान, प्रदेश प्रवक्ता/मीडिया प्रभारी डॉ.अतुल मोहन सिंह, कार्यकारिणी सदस्य अरुण शर्मा टीटू, लखनऊ जिलाध्यक्ष आशीष मौर्य, महामंत्री पद्माकर पांडेय, कोषाध्यक्ष अनुपम पांडेय, संगठन मंत्री अश्वनी जायसवाल, उपाध्यक्ष अभिनव श्रीवास्तव, अनिल सिंह, मीनाक्षी वर्मा, मनीषा सिंह, मंत्री पंकज सिंह चौहान, संगीता सिंह, गरिमा सिंह, नागेन्द्र सिंह, प्रवक्ता शिव सागर सिंह चौहान, विशेष आमंत्रित सदस्य आलोक श्रीवास्तव, डॉ. अशोक शुक्ल, मार्कण्डेय सिंह, धर्मेंद्र सक्सेना, ऋषि शर्मा, रोहित रामवापुरी, नंदिनी प्रियदर्शिनी, नेहा सिंह आदि को भी राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने सम्मानित किया। संचालन ऐश्वर्या शुक्ला ने किया।

मंत्री रजनी तिवारी को nuj सम्मान देते nuj lko के अध्यक्ष आशीष और महामंत्री पद्माकर पाण्डेय समेत lko की पूरी टीम

विवेक का स्थान ले पाना अभी एआई के वश में नहीं : वरिष्ठ पत्रकार/संपादक ज्ञानेंद्र शुक्ल ने कहा, सीखने-सिखाने का क्रम चलता रहता है, कल हमें हमारी वरिष्ठ सिखाते थे आज नई पीढ़ी के बच्चे सिखाते हैं। एआई और चैट जीपीटी भी नई पीढ़ी की तरह है। अब वह हमें सिखा रहा है। एआई से बचना मुश्किल है। मनुष्य और विवेक का स्थान ले पाना अभी एआई के वश में नहीं है। गुजरते वक्त के साथ पत्रकारिता ने कई चुनौतियां आत्मसात की हैं, एआई को भी मित्रवत आत्मसात कर लेंगे।

प्रमुख सचिव अमित घोष से बात करती मंत्री रजनी तिवारी

एआई विद्वान हो सकता है, पर विवेकवान नहीं : वरिष्ठ पत्रकार राजीव श्रीवास्तव ने कहा, विवेकवान होना ही मनुष्यता का पैमाना है। एआई टूल आंकड़ों और रिसर्च के आधार पर विद्वान हो सकता है, पर विवेकवान नहीं। मोबाइल पर हर सामग्री उपलब्ध है, पर मोबाइल में विवेक नहीं है। विवेकशीलता मनुष्य में ही है। एआई को हम छोड़ नहीं सकते, इनकार नहीं कर सकते, इसे हमको आत्मसात करना ही होगा। एआई को मित्रवत इस्तेमाल करें, पूर्ण आत्मनिर्भरता घाटक होगी। एआई डेटाबेस के आधार पर आपको कॉन्टेंट देता है। ह्यूमन इंटरवेंशन के बिना खबर के साथ न्याय नहीं होगा। एआई तकनीक चाहें जितनी विकसित हो जाए वह मनुष्य के विवेक का स्थान कभी नहीं ले सकता है। एआई के आने से नौकरी का खतरा नहीं है। हम अख़बार को एआई के भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं, वरना खबरों का जिम्मेदार कौन होगा। पत्रकारों के निजी अनुभव का पर्याय भी एआई नहीं हो सकता है।

ai के माध्यम से पत्रकारिता को मिलने वाले लाभ और प्रभाव पर संबोधित करते टाइम्स ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार राजीव श्रीवास्तव

एआई नहीं बनाए रख सकता पत्रकारिता में विश्वसनीयता : वरिष्ठ पत्रकार/संपादक अनिल त्रिगुणायत ने कहा, ‘एआई संवेदना, विचार और मानवीय दृष्टिकोण नहीं ला सकता है। पत्रकारिता की आत्मा उसकी विश्वसनीयता है और वह केवल एक अनुभवी पत्रकार ही बनाए रख सकता है। पत्रकार की भूमिका एआई से कभी पीछे नहीं होगी। एआई विशेषज्ञ प्रखर पाठक ने कहा, मीडिया में चैट जीपीटी और वर्कस्पेस टूल का इस्तेमाल पत्रकारों के लिए उपयोगी साबित होगा। वॉयस ओवर से लेकर बेसिक सामग्री तक एआई के माध्यम से जनरेट कर सकते हैं। एआई से रिसर्च डिटेल लेकर पत्रकार चैट जीपीटी के माध्यम से न्यूज़ सामग्री बना सकते हैं।

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