नरेंद्र गिरि की वसीयत फर्जी ? अब कौन होगा उत्तराधिकारी, साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी की मदद ले रही CBI
बाघम्बरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि की मौत की जाँच कर रही CBI को रोजाना नए नए तथ्य मिल रहे हैं. पहले उनका सुसाइड लेटर, फिर लेटर का वीडियो वर्जन. और फिर तीन वसीयतें भी सामने आईं थीं लेकिन अब इनपर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
तीन बार अपनी वसीयत बदली थी
सुसाइड नोट से सामने आया था कि उन्होंने तीन बार अपनी वसीयत बदली थी. आखिरी बार जून 2020 में उन्होंने अपने शिष्य बलबीर गिरि के नाम वसीयत की थी. लेकिन मठ के दूसरे संतों और अखाड़ा परिषद के लोगों ने इस पर ऐतराज जताया है. उन्होंने कहा, पहले सुसाइड का सच सामने आए, उसके बाद उत्तराधिकारी को गद्दी सौंपी जाएगी. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मठ बाघम्बरी गद्दी के उत्तराधिकारी बलवीर गिरि होंगे. लेकिन इसका औपचारिक ऐलान पांच अक्टूबर को सोडसी भोज के दिन किया जाएगा. बतादें कि सर्वोच्च धार्मिक संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के तौर पर नरेंद्र गिरि ताकतवर भी थे और बेशुमार दौलत वाली गद्दी पर आसीन होने की वजह से वैभवशाली भी थे.
आनंद गिरि की कहानी
आनंद गिरि की कहानी वर्ष 2000 से शुरू हुई थी. जब पहली बार नरेंद्र गिरि के शिष्य बने राजस्थान के भीलवाड़ा निवासी अशोक कुमार चोटिया निरंजनी अखाड़े में संन्यास दीक्षा ग्रहण करने के बाद आनंद गिरि बनकर उनकी सेवा में लग गए थे. धीरे धीरे महंत नरेंद्र गिरि का दिल जीतने में वो कामयाब हो गए थे. इसी वजह से वर्ष 2011 में महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद को अपना उत्तराधिकारी बनाते हुए आनंद के नाम वसीयत कर दी थी.
लेकिन कुंभ-2019 के दौरान आस्ट्रेलिया में दो विदेशी महिलाओं से अभद्रता के आरोप में आनंद गिरि की गिरफ्तारी ने गुरु-शिष्य के रिश्ते की जड़ों में कमजोर कर दिया और बदनामी की वजह से ये दूरियां महंत के दिल तक बन गईं. इसके बाद चार जून 2020 को महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि के हक में की गई वसीयत को निरस्त करते हुए बलवीर गिरि के नाम दूसरी वसीयत कर दी थी.
आनंद गिरि से पूछे गए सवाल
ऐसा माना जा रहा है कि इसी दूसरी वसीयत को बदलवाने के लिए महंत पर दबाव बनाया जा रहा था. इस वसीयत को बदलने के लिए महंत को मजबूर करने की कोशिशें की जा रही थीं. अब इसमें कौन-कौन से लोग शामिल हैं इसकी जांच CBI कर रही है. आरोपित आनंद गिरि से जब सीबीआइ ने पूछा कि महंत नरेंद्र गिरि का हरिद्वार में कौन-कौन करीबी था. अंतिम बार वे कब हरिद्वार गए थे. जब वे वहां जाते थे तो सबसे अधिक किससे बातचीत करते थे. और सबसे बड़ी बात कि सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा था कि ‘आज जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक-दो दिन में आनंद गिरि कंप्यूटर के माध्यम से मोबाइल से किसी लड़की या महिला के गलत काम करते हुए मेरी फोटो लगाकर फोटो वायरल कर देगा, इसलिए मै जान देने जा रहा हूं. ये सूचना देने वाला कौन था? इस सवाल पर आनंद गिरि बोले कि मुझे नहीं पता.
CBI अब साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी की मदद ले रही है. इसमें CBI मौत से पहले महंत की मनोदशा, उनके व्यवहार को समझना चाहती है. मतलब क़ी मौत से कुछ दिन या कुछ घंटे पहले तक महंत की मानसिक स्थिति कैसी थी.
क्या है साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी?
साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी ज्यादातर सुसाइड केस में की जाती है. इससे ये पता किया जाएगा कि मरने वाले की मनोदशा कैसी थी. इस जांच में उसके सोचने का तरीका, उसने मरने के कुछ दिनों पहले क्या किया था? उसका बिहेवियर कैसा था? यह सब कुछ जानने की कोशिश की जाती है.