कृषि जगत को आज एक और बड़ा तोहफा मिल गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए 35 नई फसलों की वैरायटी को देश को समर्पित किया है. इसके साथ ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट रायपुर के नए परिसर का लोकार्पण भी किया है.
फसलों की वैरायटी में क्या क्या है ?
फसलों की वैरायटी में मुख्य रूप से मुरझाई और बंध्यता मोजेक प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी किस्में, गेहूं की जैव-फोर्टिफाइड किस्में, बाजरा, मक्का और चना, क्विनोआ, पंखों वाला बीन और फैबा शामिल हैं. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय कृषि हमेशा से वैज्ञानिक रही है. क्योंकि यहां पहले से कहा जाता रहा है कि खेत की जुताई जितनी गहरी की जाती है, बीज बोने पर उपज भी उतनी ज्यादा होती है. मोदी ने बताया कि फसलों की नई वैरायटी मौसम की मार से निपट सकती हैं. साथ ही साथ पहले से ज्यादा पोषक भी है.
खेती हमारी पुरातन परंपरा है
कृषि और विज्ञान के तालमेल का निरंतर बढ़ते रहना 21वीं सदी के भारत के लिए बहुत जरूरी है. आज इसी से जुड़ा एक और अहम कदम उठाया जा रहा है. देश के आधुनिक सोच वाले किसानों को 35 नई फसलों की वैरायटी को समर्पित किया जा रहा है और इस कदम से इनकी आय अवश्य बढ़ेगी. खेती हमारी पुरातन परंपरा है, लेकिन इसको लेकर भविष्य की तरफ बढ़ना है. इसलिए आधुनिक तकनीक जरूरी है जो कि खेती के नए औज़ार जैसी है.
35 नई फसलों की वैरायटी उच्च पोषण तत्वों से भरपूर और रोगरोधी हैं. इस लिस्ट में चने की ऐसी फसल भी रहने वाली है जो आसानी से सूखे की मार झेल सकती है. इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला चावल भी तैयार किया गया है.
जो वैज्ञानिक तैयार होंगे वो किसानों की आय बढ़ाएंगे
इसके अलावा पीएम मोदी ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस टॉलरेंस रायपुर का उद्घाटन करते हुए कहा कि ये संस्थान मौसम और अन्य परिस्थितियों के बदलाव से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में देश के प्रयासों को वैज्ञानिक सहायता देगा. यहां से जो वैज्ञानिक तैयार होंगे, जो समाधान तैयार होंगे, वो देश की कृषि और किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होंगे.