विकास से कोसो दूर उप्र को प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला ‘दशहरी गांव’
प्रदेश को सम्मान दिलाने वाले दशहरी गांव को या मलिहाबाद क्षेत्र स्थित मैंगो बेल्ट के विकास की सुध न किसी राजनैतिक पार्टी ने अबतक ली है
केशरी धारा सिंह
लखनऊ। दुनिया में अपने स्वाद की खूबियों से ख्यातिलब्ध दशहरी आम की मातृभूमि मलिहाबाद स्थिति दशहरी गांव, आजादी के 75 साल बाद भी विकास की बांट जोह रहा है। भले ही देश व दुनियाभर के लोगों की डिमांड हमेशा दशहरी आम पर रहती है और दिनों दिन बढ़ती जा रही है। मगर उप्र के राजनेताओं की ध्यान इस पर नही जाता है। वर्तमान में 17 वीं विधानसभा चुनाव का प्रचार प्रसार चल रहा है, 16 चुनाव संपन्न हो चुके हैं। प्रदेश में विकास के बड़े-बडेÞ वायदे किये जा रहें हैं, मगर दुनिया में प्रदेश को सम्मान दिलाने वाले दशहरी गांव को या मलिहाबाद क्षेत्र स्थित मैंगो बेल्ट के विकास की सुध न किसी राजनैतिक पार्टी ने अबतक ली है।
दशहरी गांव में स्थित पहला आम का वह बरगदनुमा विशालकाय पेड़
राजधानी लखनऊ से काकोरी क्षेत्र में पहुंचने पर बायीं ओर सड़क दशहरी-रायपुर गांव को जाती है। लगभग 1300 मीटर दूरी पर स्थित वह दशहरी गाँव हैं, जिसे दुनिया दशहरी आम के रूप में पहचानती है। दशहरी गांव में स्थित पहला आम का वह बरगदनुमा विशालकाय पेड़, जिसके बीज से ही देश -दुनिया में दशहरी आम पहुंचा है और अपनी अदभुत मिठास और खुशबू के लिए सबकी पंसद बना हुआ है, को चार सीमेंट के खंभो से संरक्षित करने का असफल प्रयास किया जा रहा है। यही पेड़, दिल -दिमाग के साथ ही जुबान को अपना दिवाना बना देने वाला स्वाद व खुशबू युक्त दशहरी आम का जन्म दाता है। यही वजह है कि दशहरी गाँव के नाम से ही आम की इस प्रजाति का नाम दशहरी पड़ गया। प्रदेश के चुनावों में तमाम मुद्दे होते हैं, क्षेत्रीय नेताओ ने छोटे-छोटे मुद्दे उठाये मगर दुर्भाग्य है कि प्रदेश की पहचान स्थापित करने वाले दशहरी गांव के विकास की बात आजतक किसी भी नेता ने नही की है। यही वजह है इस ‘मैंगो बेल्ट’ के विकास को लेकर चुनाव में कभी मुद्दा नहीं बना है। उलट, मैंगो बेल्ट में दशहरी पेड़ों की अवैध कटान और बागों में प्लाटिंग का खेल, इसके भविष्य को खराब कर रहा है। संभव है कि आधुनिकता की दौड़ में धनार्जन की रेस में कंकरीट बिछाने की प्रवृत्ति से कहीं दशहरी गांव का अतीत एक कहानी में न तब्दील हो जाये। हलांकि इस अवैध कटान में वन विभाग और भूमाफियाओं की मिलीभगत से नकारा नही जा सकता है। बागबानों का कहना है कि कुछ लोग इस तरह से बागों को खत्म कर रहे हैं जिससे लग रहा है कि आने वाले 10 शालों में कहीं धीरे-धीरे कर के दशहरी आम सहित अन्य आम की यह प्रजातियां विल्पुत न हो जाएं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मैंगों बेल्ट में रियल स्टेट के कारोबार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगना चाहिए।