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दुर्लभ बीमारियों के लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज ले : प्रो.राजेश हर्ष

वर्ड रेयर डिजीज डे 2022

लखनऊ। धरती पर तमाम बीमारियां हैं, जो चिकित्सा विज्ञान के लिए चुनौती बनी हुई हैं। अब तक 7 हजार से अधिक दुर्लभ बीमारियों की पहचान की जा चुकी है। फिर भी इन रोगों के निदान और उपचार की सुविधा जनता के लिए इतनी आसानी से उपलब्ध नहीं है। ये बीमारियां न केवल व्यक्ति या परिवार पर वित्तीय कठिनाई बढ़ाता है बल्कि सामाजिक स्वास्थ्य पर भी भारी प्रभाव डालता है। इन बीमारियों के बारे में जागरूकता बहुत जरूरी है। यह बात सोमवार को संजय गांधी पीजीआई के अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख प्रो. राजेश हर्ष वर्धन और सीएचसी प्रभारी डा. कृति सक्सेना ने बताई।

रेयर डिजीज का समय से पता चले तो संभव है इलाज
विश्व दुर्लभ रोग दिवस के अवसर पर पीजीआई संस्थान द्वारा सीएचसी सदर में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में अस्पताल प्रशासन के राजेश हर्ष ने बीमारियों के बचाव व गुणवत्ता युक्त इलाज सहित अन्य जानकारी देते हुए बताया कि तमाम बीमारियां है जिनका इलाज संभव है। हालांकि आंकड़ों की मानें तो 50% दुर्लभ रोग के मामले बच्चों में देखे गए हैं। फिर भी हमे सतत प्रयास करना चाहिये कि हम बीमार न हो, अगर हो जाये तो समय रहते विशेषज्ञ से इलाज प्राप्त करें ताकि पूर्णतया ठीक हो सकें। जागरूकता कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने विभिन्न दुर्लभ बीमारियों की पहचान करने और उन्हें समय पर उपचार और रेफरल सेवाएं प्रदान करने में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कुछ दुर्लभ रोगों के विभिन्न लक्षणों और लक्षणों के बारे में भी बताया और तुरंत क्या किया जाना चाहिए। बीमारी, उसके लक्षण, निवारक रणनीति और प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की गई। सत्र में जनता ने आॅनलाइन और आॅफलाइन दोनों तरीकों से लाइव भाग लिया।

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