धड़कन रोकी, खून को ठंडा किया और बदल दी हार्ट की मुख्य धमनी
मरीज के शरीर में खून एआॅर्टा के दीवार की आंतरिक और मध्य परतों के बीच जगह बनाकर उसमें प्रवाहित होने लगा था
लखनऊ । प्रदेश में पहली बार अपोलोमेडिक्स अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ.भरत दुबे ने एक्यूट एओर्टिक डायसेक्शन से पीड़ित मरीज की सर्जरी कर उसे नया जीवन दिया। यह विषम स्थिति है मगर इलाज भी जटिल है। इसके लिए मरीज का न केवल हार्ट ओपन किया गया बल्कि धड़कन को रोककर, हार्ट को खून आपूर्ति करने वाली क्षतिग्रस्त महाधमनी एआॅर्टा को बदल दिया। सर्जरी की सफलता के बाद मरीज ने सामान्य दिनचर्या शुरु कर दी है। यह जानकारी शुक्रवार को स्वयं सर्जन डॉ.भरत दुबे ने दी।
खून के प्रवाह के दबाव से एआर्टा की बाहरी दीवार कभी भी फटकर बन सकती थी जानलेवा
कानपुर रोड स्थित अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल में डॉ.दुबे ने बताया कि एक्यूट एओर्टिक डायसेक्शन की सर्जरी के दौरान दिल की धड़कन को रोकना आवश्यक हो जाता है क्योंकि यह सर्जरी रक्तप्रवाह के साथ नही हो सकती है। इसके लिए दिल धड़कन का बंद किया जाता है लेकिन शरीर और मष्तिष्क को हार्ट-लंग बायपास मशीन से रक्त की आपूर्ति की जाती है। इसके बाद मरीज के शरीर के खून को पतला कर हाइपोथर्मिक सकुर्लेटरी अरेस्ट की स्थिति में लाया गया, खून का टेम्परेचर 18 डिग्री सेंटीग्रेड तक नीचे ले जाया गया, इससे रक्त प्रवाह को अस्थायी रूप से रोका जाता है। क्षतिग्रस्त एआॅर्टा धमनी को ठीक कर मरीज के रक्त को धीरे-धीरे तापमान सामान्य स्थिति में लाया गया और हृदय की धड़कनों को चालू किया गया। समय के साथ मरीज सामान्य स्थिति में पहुंच गया और हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई, अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। अस्पताल के सीईओ डॉ.मंयक सोमानी ने बताया कि अपोलोमेडिक्स अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए अल्ट्रा मॉडर्न मेडिकल टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है। डॉ.दुबे ने, जिस 51 वर्षीय मरीज की सर्जरी सफलतापूर्वक की, उसकी एआॅर्टा कभी भी फट सकती थीं और मरीज की जान को खतरा हो सकता था। समय रहते डॉ.दुबे ने मरीज की सर्जरी कर ठीक कर दिया। अमूमन उसका इलाज कराने के लिए मरीजों को दिल्ली मुंबई जैसे शहरों का रुख करना पड़ता था।