सरकार द्वारा बनाये गए कानूनों को लेकर किसान करीब 10 महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हालही में किसान महापंचायत ने जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी थी. जिसपर कोर्ट ने सुनवाई की है.
क्या लोग अपना कारोबार बंद कर दें
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि आप पहले ही शहर का गला घोंट चुके हैं और अब आप शहर के अंदर आना चाहते हैं. क्या आप चाहते हैं कि शहर के लोग अपना कारोबार बंद कर दें या आपके प्रदर्शन से लोग खुश होंगे. सरकार द्वारा बनाये गए कानूनों को अदालतों में चुनौती देने के बाद विरोध करने वाले किसानों को विरोध जारी रखने के बजाय व्यवस्था और अदालतों में अपना विश्वास करना चाहिए.
प्रदर्शन करने की इजाजत कैसे दें
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आपको प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन राजमार्गों को ब्लॉक कर लोगों को परेशानी में नहीं डाल सकते हैं. प्रदर्शन कर रहे किसान यातायात बाधित कर रहे हैं, ट्रेनों और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर रहे हैं. सुरक्षा कर्मियों को निशाना बना रहे हैं, सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और फिर भी प्रदर्शन करने की मांग के लिए याचिका दायर कर रहे हैं. ऐसे में प्रदर्शन करने की इजाजत कैसे दी जा सकती है.
कोर्ट ने माँगा हलफनामा
कोर्ट की बात पर जब किसानों के वकील ने कहा कि हाईवे उन्होंने बंद नहीं किया है, पुलिस ने बंद किया है, तो इस पर कोर्ट ने उनसे हलफनामा दायर करने को कहा कि उसमे बताएं कि वे राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध करने वाले किसानों के विरोध का हिस्सा नहीं हैं. इसके बाद कोर्ट ने फैसले की अगली सुनवाई के लिए सोमवार तक का समय दिया है. सोमवार तक कोर्ट ने हलफनामा भी माँगा है.