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ब्रेस्ट के साथ कांख में भी गांठ हो तो खतरा संभावित : डॉ.आनन्द मिश्र

90 प्रतिशत कैंसर युक्त गांठे दर्द रहित

केजीएमयू में ब्रेस्ट कैंसर अपडेट विषयक दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न

लखनऊ। ब्रेस्ट में गांठ के साथ अगर कांख (हाथ के नीचे)में भी गिल्टी है तो नजर अंदाज न करें, क्योंकि इन दो गांठों का एक साथ होना, कैंसर की संभावनाओं को बढ़ाता है। गांठ की पुष्टि होने के बाद, अत्याधुनिक सर्जरी द्वारा बिना ब्रेस्ट निकाले ही कैंसर गांठ निकालना संभव है। यह जानकारी केजीएमयू में दो दिवसीय ‘ ब्रेस्ट कैंसर अपडेट’कार्यशाला में दूसरे दिन शनिवार को आयोजन अध्यक्ष डॉ.आनन्द मिश्र ने दी।

10 प्रतिशत शिक्षित महिलाएं, ब्रेस्ट कट जाने के भय से होम्योपैथी समेत अन्य विधाओं में इलाज खोजती

शताब्दी अस्पताल के फेज टू के सभागार में आयोजित कार्यशाला में इंडोक्राइन सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ.आनन्द मिश्र ने बताया कि कैंसर की पुष्टि होने के बाद भी 10 प्रतिशत शिक्षित महिलाएं, ब्रेस्ट कट जाने के भय से होम्योपैथी समेत अन्य विधाओं में इलाज खोजती हैं। उनकी यह देरी, कैंसर बीमारी को बढ़ाती है। समय से इलाज न शुरु होने से कैंसर बढ़ता जाता है और ब्रेस्ट के बाद शरीर के किसी भी हिस्से को गिरफ्त में ले सकता है। उन्होंने बताया कि नई तकनीक में ब्रेस्ट की बड़ी से बड़ी गांठ भी बिना ब्रेस्ट हटाए, निकालना संभव है, उन्होंने बताया कि बड़ी गांठ को किमोथेरेपी से गांठ सिकुड़ जाती है, गांठ छोटी कर सर्जरी द्वारा केवल गांठ निकाल देते हैं।

90 प्रतिशत कैंसर युक्त गांठे दर्द रहित

कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ.कुलरंजन ने बताया ब्रेस्ट में 90 प्रतिशत कैंसर युक्त गांठे दर्द रहित होती हैं। इसलिए भ्रम में रही रहना चाहिये, हलांकि 80 प्रतिशत गांठे कैंसर वाली नही होती हैं। मगर, 20 प्रतिशत में संभावित हैं, इसलिए शुरुआती चरण में ही जांच अवश्य करानी चाहिये। उन्होंने बताया कि ब्रेस्ट सर्जरी के बाद रेडियोथेरेपी जरूरी है, यह सिकार्इं दुबारा कैंसर होने की संभावनाओं को खत्म करती है। दूसरे दिन ब्रेस्ट सर्जरी की विभिन्न तकनीकों पर विभिन्न प्रांतों से आये विशेषज्ञों ने विचार रखे।

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