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अब केजीएमयू में बिना इंजेक्शन के दर्द रहित फेको मोतियाबिंद सर्जरी

डॉ.अरून शर्मा
  लखनऊ। केजीएमयू में फेको विधि से होने वाली मोतियाबिंद सर्जरी इंजेक्शन रहित और पहले से अधिक सुरक्षित होगी। इसके लिए आॅगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थेसिया प्रोसिजर प्रयोग किया जायेगा, साथ ही आॅगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थेसिया में लिग्नोकेन नाम की दवा के स्थान पर रिप्रोवकेन नाम की दवा का प्रयोग किया जायेगा। इस दवा से कॉनिया के ऊपर बहुत ही संवेदनशील परत या नाजुक ऊतकों (कॉर्नियल एंडोथेलियम) को अधिक सुरक्षित रहते हैं। यह शोध केजीएमयू की पीजी छात्रा डॉ.शालिनी सिंह ने , प्रो डॉ.अरूण शर्मा के नेतृत्व में किया। यह शोध इंडियन जर्नल आॅफ आॅप्थल्मोलॉजी में प्रकाशित हो चुका है। 
डॉ.संजीव गुप्ता

उक्त शोध की जानकारी देते हुए गाइड डॉ.संजीव गुप्ता ने बताया कि इंजेक्शन रहित व दर्द रहित सुन्नता लाने के लिए आॅगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थेसिया तकनीक प्राइवेट अस्पतालों में धड़ल्ले से प्रयोग की जाती है, जबकि केजीएमयू में बहुत कम प्रयोग होती थी। उन्होंने बताया कि आॅर्गेमेंटेड टॉपिकल एनेस्थेसिया में आंख में सुन्नता लाने के लिए लिग्नोकेन नाम की दवा का प्रयोग किया जाता है। जबकि शोध छात्रा डॉ.शालिनी ने रिप्रोवकेन नाम की दवा का प्रयोग मरीजों में किया और ज्ञात हुआ कि इस दवा से आंख के अंदर के नाजुक ऊतक अर्थात कार्निया के ऊपर की बहुत की नाजुक परत को भी सुरक्षित रखता है।

स्नातकोत्तर छात्रा डॉ. शालिनी सिंह

उन्होंने बताया कि यह अध्ययन नेत्र विभाग में स्नातकोत्तर छात्रा डॉ. शालिनी सिंह द्वारा केजीएमयू के डॉ. विशाल कटियार, डॉ. सिद्धार्थ अग्रवाल व मै स्वयं और प्राइवेट प्रैक्टिसनर डॉ. संजीव हंसराज व डॉ. अजय कुमार ने की। शोध पुष्टि करता है कि आॅगमेंटेड टॉपिकल एनेस्थेसि सुरक्षित, प्रभावी और दर्द मुक्त सुन्न की तकनीक है।

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