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प्रसव के दौरान रक्तस्त्राव होने वाली मौत को बचाया जा सकता है : प्रो.निशा सिंह

क्वीन मैरी में प्लेसेंटा चिपकने की समस्या निवारण विषयक


लखनऊ। प्रसव के दौरान होने वाली प्रसूताओं की मौत को रोका जा सकता है। यह मौत, प्रसव के दौरान होने वाली अत्यधिक रक्तस्त्राव की वजह से होती हैं, इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट द्वारा प्रसव पूर्व नसों में बैलून डालकर 30 मिनट तक रक्तस्त्राव को रोका जाता है। यह जानकारी शनिवार को क्वीन मैरी की प्रो.निशा सिंह ने दी, उन्होंने अपने अंडर में भर्ती गर्भवती महिला में उक्त तकनीक से न केवल सफल प्रसव कराया बल्कि भविस्य में गर्भधारण की संभावनाएं सुरक्षित की।

रक्तस्त्राव की वजह से प्रत्येक 1000 प्रसूताओं में 5 की मौत हो जाती है

क्वीन मैरी में मातृ मृत्यु दर को कम करने विषयक संगोष्ठी में डॉ.निशा सिंह ने बताया कि प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्त्राव की वजह से प्रत्येक 1000 प्रसूताओं में 5 की मौत हो जाती है। इस समस्या का मुख्य कारण,प्लेसेंटा गर्भाशय से चिपक जाता है और कई में तो बाहर भी फैल जाता है। इसकी वजह से प्रसव के दौरान रक्तस्त्राव होने की संभावना बढ़ जाती है। डॉ.निशा ने बताया कि सुल्तानपुर निवासी 8.5 माह की गर्भवती रोशनी को क्वीन मैरी में भर्ती किया था, नौ माह पूर्ण होने पर एनेस्थेटिक डॉ.मनीष कुमार के सहयोग से इंटरवेंशन रेडियोलॉजी विभाग के डॉ.नितिन अरूण, डॉ.सौरभ कुमार व डॉ.सिद्धार्थ मिश्रा ने गर्भवती की नसों में बैलून प्रत्यारोपित किया। जिसके बाद रक्तस्त्राव की संभावना अत्यंत कम हो जाती है। इसके बाद सीजेरियन कर दिया गया, शिशु और प्रसूता रोशनी दोनो स्वस्थ्य हैं। साथ ही रोशनी दुबारा गर्भधारण कर सकती है। अन्यथा ऐसे केसों में गर्भाशय निकाल दिया जाता है, जिसके बाद गर्भधारण की संभावनाएं खत्म हो जाती हैं। संगोष्ठी में क्वीन मैरी हेड प्रो.उमा सिंह, प्रो.नीरा कोहली, प्रो.जेपी सिंह ने भी रक्तस्त्राव कम करने की तकनीकों पर प्रकाश डाला।

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