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रक्षक नहीं, भक्षक हैं ये दवाएं …

जरूरत पड़ने पर ही विशेषज्ञ की सलाह से ले एंटीबायोटिक दवाएं : सुनील यादव

 एन्टी माइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह मनाया गया 

 लखनऊ।  इलाज में उपयोग की जाने वाली एंटीबायोटिक, एंटीवायरल या एंटी पैरासाइटिक दवाएं, कोई भी हों, केवल जरूरत पर ही विशेषज्ञ की सलाह पर लेनी चाहिये और स्वास्थ्य लाभ मिलते ही चिकित्सक की सलाह से बंद भी कर देनी चाहिये। क्योंकि एलोपैथिक दवाओं के दुष्परिणाम अवश्य होते हैं। जो कि चुपचाप शरीर में बड़ी बीमारी या दवाएं के प्रति रोगप्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है। इस जागरूकता को बढ़ाने में फार्मासिस्टों की अह्म भूमिका है। यह जानकारी बुधवार को डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में फार्मासिस्ट फेडरेशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुनील यादव ने दी ।

दवाओं का रख रखाव व सेवन का गलत तरीका भी न्यौता देता है बीमारियों को

सिविल अस्पताल में 18 से 24 नवंबर तक मनाएं गए एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह के अंतिम दिन श्री यादव ने कहा कि दवाओं की अधूरी खुराक, खराब रखरखाव और दुरुपयोग गंभीर बीमारियों को निमंत्रण देता है। फेडरेशन की साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन एम्स के असिस्टेंट प्रो. डॉ. हरलोकेश यादव ने बताया कि उप्र तमाम ग्रामीण क्षेत्रों में फामेर्सी के शिक्षक, छात्र व फार्मेसिस्टों  ने आम जनता को एंटीबायोटिक के प्रभाव और दुष्प्रभाव के बारे में अवगत कराया।

500 में केवल 3 नागरिकों को दवाओं के दुष्प्रभाव की जानकारी

इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के प्रो. डॉ. इरफान अजीज व इंटीग्रल के बैचलर, फार्म डी छात्रों ने सिविल अस्पताल में करीब 500 मरीजों व तीमारदारों में पम्पलेट वितरित करते हुए जागरूकता दी, इस दौरान पाया गया कि मात्र 3 लोगों को एंटीमाइक्रोबियल दवाओं के दुष्प्रभाव की जानकारी थी। उन्होंने कहा कि आमजन मानस के साथ ही चिकित्सा कर्मियों को जागरूक रहना होगा, अन्यथा भविष्य में कहीं ऐसा ना हो कि उत्पन्न प्रतिरोध के कारण सामान्य बीमारियों का भी इलाज करना मुश्किल हो जाए। रामीश इंस्टिट्यूट के एसो.प्रो.डॉ प्रदीप कांत पचौरी, सुभारती यूनिवर्सिटी मेरठ के एसो. प्रो. डॉ गणेश मिश्रा , डॉ रमेश समेत विभिन्न जनपदों के फार्मेसिस्टो ने अपने अपने जनपदों में जागरूकता फैलाई । 

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