उत्तर प्रदेश

कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के आवाहन पर प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी 9 दिसंबर को करेंगे कार्य बहिस्कार



जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजेंगे।

लखनऊ। पुरानी पेंशन बहाली हो या 7 वें वेतन आयोग का लाभ, राज्य कर्मचारियों की करीब 10 से अधिक मांगे हैं जो वास्तविक है और समय समय पर सरकार व सक्षम अधिकारियों द्वारा मांगों को पूरा करने का आश्वासन देने के बावजूद, मांगे पूरी नही हुई। अब प्रदेश के कर्मचारी मांगों को लेकर आरपार की लड़ाई पर उतर आयें हैं। उक्त जानकारी देते हुए, कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्र ने बताया कि कर्मचारियों की मांगे मनवाने के लिए कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा उप्र के पदाधिकारियों ने, बीते माह अभियान चलाकर मंत्री,विधायक और अन्य प्रभावशाली पदेन नेताओं से मिलकर, ज्ञापन सौपें थे। अब आन्दोलन को आक्रामक रूप देते हुये आगामी 9 दिसंबर से काम बंद करने का निर्णय लिया गया है।
26 को जनजागरण व 27 नवंबर को मशाल जुलूस
कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वी पी मिश्रा ने बताया कि काम बंद करने के पूर्व 26 नवंबर को कर्मचारी, ब्लाक,तहसील व पीएचसी स्तर पर जनजागरण कार्यक्रम चलायेंगे और आमजन को अपनी मांगों से अवगत करायेंगे। इसके बाद 27 नवंबर को सभी जनपदों के मुख्यालय पर मशाल जुलूस निकालकर, डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया जायेगा। इसके बाद भी सरकार न चेती तो 9 दिसंबर को पूरे प्रदेश में समस्त राज्य कर्मचारी काम ठप कर देंगे, सरकारी अस्पताल, बिजली विभाग व शिक्षण संस्थान आदि में कामकाज नही होगा। खामियाजा जनता  भुगतेगी। इसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।
2 दिन की सेवाएं ठप होने पर मायावती झुक गई थी
श्री मिश्र ने बताया कि पूर्व की बसपा सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने राज्य कर्मचारियों की मांगों की उपेक्षा की तो 2 दिन प्रदेश की सेवाएं ठप रही थी और दमन भी किया गया। जिसके बाद तुरंत मुख्यमंत्री ने संज्ञान में लेकर सभी मांगें स्वीकार की और आदेश जारी किये थे। महासचिव शशि कुमार मिश्र ने बताया कि प्रदेश सरकार की रवैय्या से प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी शिक्षक आक्रोशित हैं। जिसका खामियाजा भावी चुनाव में  भुगतना पड़ेगा। मोर्चा का मत है कि सरकार महत्वपूर्ण मांगों पर बातचीत के माध्यम से सार्थक निर्णय कर दे वरना शासन एवं कर्मचारियों के बीच टकराव रोक पाना संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि संकट के दौरान कर्मचारियों ने एकदिन का वेतन भी दिया था। प्रदेश सरकार ने डीए भी फ्रज कर दिया था। जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने कर्मचारियों के रोके गए धनराशि को ब्याज के साथ कर्मचारियों को वापस करने के निर्देश भी दिये थे। दूसरी तरफ सरकार वेतन समिति के निर्णय को 3 वर्ष से रोके हुए हैं। जिससे सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सेवा नियमावली सिंचाई, वाणिज्य कर एवं अन्य विभागों की लंबित हैं। दोनो नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी से आग्रह किया है कि कोविड-19 की बीमारी में अपनी जान पर खेलकर सेवाएं अर्पित करके बीमार लोगों की जान बचाई। अब सरकार की बारी है कि उन्हें न्याय दे वरना आंदोलन को रोक पाना संभव नहीं होगा।


निम्न मांगे:-
1 . पुरानी पेंशन बहाल की जाय।
2 (क) 7 वें वेतन आयोग के संस्तुतियों के उपरान्त व्याप्त वेतन विसंगतियां दूर करते हुये वेतन समिति की रिपोर्ट को प्रकाशित कर उसके पूर्ण लाभ प्रदेश के राज्य कर्मचारी स्थानीय निकाय, सार्वजनिक निगम, परिवहन निगम प्राधिकरण, शिक्षकों, शिक्षणेत्तर एवं स्वयं सेवी संस्थाओं आदि के कर्मचारियों पर सामान्य रूप से लागू किया जाय तथा प्रदेश के सभी विभागों के कर्मचारियों को समय से वेतन/भत्ते/पेंशन आदि दिया जाना सुनिश्चित किया जाये।

  1. (ख) प्रदेश सरकार द्वारा दि० 01 जनवरी 2020 से दि० 31 जुलाई 2021 तक फ्रीज महंगाई भी का एरियर भी अनुमन्य किया जाय एवं परिवार नियोजन, सी० सी० ए० सहित बन्द किये गये अन्य समस्त बहाल किये जाय।
  2. सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों को गम्भीर रोग के इलाज हेतु कैशलेस इलाज की व्यवस्था सम्बन्धी नियमावली का प्रख्यापन तत्काल किया जाय।
  3. आउटसोर्सिंग एवं संविदा आदि पर कार्यरत कर्मचारियों की सेवा सम्बन्धी सुरक्षा भविष्य में स्थायीकरण हेतु नीति तथा समान कार्य का समान वेतन, श्रम मंत्रालय द्वारा अनुमन्य पारिश्रमिक दिये जाने तथा ई०पी०एफ० एवं ई०एस० आई०/बीमा आदि की सुविधायें अनिवार्य रूप से प्रदान की जाय।
  4. प्रदेश के स्थानीय निकाय/विकास प्राधिकरण कर्मचारियों को राज्य कर्मचारियों की भांति सभी सुविधायें देते हुये वेतन ढांचा निर्धारित किया जाय तथा लिपिक, राजस्व, कम्प्यूटर, चालक आदि संदर्गों का पुर्नगठन/उच्चीकरण एवं अकेन्द्रीयत सेवानियमावली, भत्ते, पदनाम देते हुये सफाई व अन्य संवर्गों में कार्यरत दैनिक वेतन, संविदा (31 दिसम्बर 2001 तक कार्यरत कर्मचारियों) धारा-108/एवजदार आदि कर्मचारियों का समयबद्ध विनियमितीकरण किया जाय।
    6 (क) शेष बचे राजकीय निगमों के कर्मचारियों को 7 वें वेतनमान का लाभ अनुमन्य किया जाय तथा निगमों के कर्मचारियों को महंगाई भत्तों का  भुगतान राज्य कर्मचारियों की देय तारीख से करते हुये गठित अधिकृत समिति समाप्त कर वर्ष 2002 से पूर्व की व्यवस्था लागू की जाय एवं राज्य सार्वजनिक निगमों, उपक्रमों को चलाने हेतु कोई ठोस नीति बनायी जाय।
    (ख) प्रमुख सचिव परिवहन के साथ हुये रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के समझौतानुसार बकाया महंगाई भत्तों की किश्तों का देय दिनांक से  भुगतान, वेतन विसंगतियों का निराकरण तथा सेवानिवृत्त के उपरान्त चिकित्सा सुविधा, सेवानियमावली में प्रस्तावित संशोधन पर रोक सहित अन्य निर्णयों पर अनुपालन सुनिश्चित कराते हुये राष्ट्रीकृत मार्गों पर निजी बसों के संचालन को समाप्त कर नई बसें क्रय कर निगम की आय बढ़ायी जाय तथा रिक्त पदों पर नियमित भर्तियां करने के साथ ही संविदा चालकों/परिचालकों को चरणबद्ध विनियमितीकरण की योजना बनाई जाय।
  5. लेखा एवं लेखा परीक्षक संवर्ग, डिप्लोमा फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन आष्ट्रोमेट्रिस्ट के वर्तमान ग्रेड पे रु0 2800/- को उच्चीकृत करते हुये रु0 4200/- तथा कैडर पुर्नगठन व पदनाम परिवर्तित किये जाये।
  6. नर्सिंग संवर्ग को केन्द्र सरकार के उपलब्ध पदों की भाति प्रदेश में 200 बेड पर एक नर्सिंग अधीक्षक तथा 500 बेड पर मुख्य नर्सिंग अधिकारी का एक एक पद सृजित किया जाय।
  7. सभी कार्यरत तदर्थ माध्यमिक शिक्षकों एवं प्रधानाचार्यों को विनियमितीकरण करते हुये राज्य कर्मचारियों की भांति चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाय तथा राजकीय शिक्षकों के आर० एम० एस० ए० शिक्षकों का वेतन नियमित किये जाने के साथ – साथ राजकीय हाईस्कूलों का वेतन भी राजकीय इण्टर कॉलेज वाले हेड से निर्गत किया जाय तथा सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर 300 दिन का अवकाश नकदीकरण दिया जाय।
  8. के० जी० एम० यू० कर्मचारियों का दि० 23 अगस्त, 2016 को जारी शासनादेश के क्रम में संवर्गीय पुर्नगठन किया जाना।
    मोर्चा ने प्रदेश के लाखों, लाख कर्मचारियों व सभी संघ, संगठनों से भी अपील की है कि अपना व संगठनों का अस्तित्व बचाने के लिए हम सभी को संयुक्त मोर्चा द्वारा घोषित आन्दोलन में सहयोग, समर्थन करके, देश, प्रदेश के लाखों नवजवानों को आउटसोर्सिंग/संविदा पर बहुत ही अल्प वेतन वह भी समय से न देकर उनके विष्य को बर्बाद करने से बचाने हेतु वाजिब वेतन एवं सुरक्षा देने के लिए संघर्ष करने को तैयार रहें व मोर्चा द्वारा घोषित सभी चरण के कार्यक्रमों को पूर्ण मनोयोग से सफल बनायें।
  9. बैठक में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश कुमार रावत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र मिश्र, महामंत्री अतुल मिश्रा, राज्य निगम महासंघ के अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र, महामंत्री घनश्याम यादव, स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र, विकास प्राधिकरण कर्मचारी संयुक्त संगठन के अध्यक्ष अवधेश सिंह, माध्यमिक शिक्षक संघ के महामंत्री नंदकुमार मिश्र, फेडरेशन आॅफ फार्मासिस्ट के सुनील कुमार यादव, फेडरेशन आॅफ फॉरेस्ट के संयोजक डा0 पी0के0 सिंह व महामंत्री आशीष पांडे, राजकीय शिक्षक संघ के केदारनाथ तिवारी, शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ के महामंत्री आशादीन तिवारी, राजकीय नर्सेंज संघ के महामंत्री अशोक कुमार, आप्टोमेट्रिष्ट एसो0 के अध्यक्ष सर्वेश पाटिल, एक्स-रे एसो0 के महामंत्री आर0 के0 पी0 सिंह, जवाहर भवन इन्द्रा भवन कर्मचारी वेलफेयर एसो0 की अध्यक्षा श्रीमति मीना सिंह व महामंत्री यू0पी0 सिंह, राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष अशोक कुमार गौतम, के0जी0एम0यू0 कर्मचारी परिष के अध्यक्ष प्रदीप गंगवार, कैसर रजा, गोमती त्रिवेदी, सिंचाई कार्मिक महासंघ के अध्यक्ष प्रेमानंद चतुवेर्दी आदि शामिल थे।

Related Articles

Back to top button