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Lucknow: अवैध पटाखा कारोबार पर सरकार सख्त, ग्राम प्रधानों और सचिवों को किया अलर्ट-

वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर सख्त आदेश जारी करते हुए कहा था कि वो उत्सव के खिलाफ नहीं है, लेकिन इंसान की जिंदगी को खतरे में डालकर उत्सव मनाने की छूट नहीं दी जा सकती है.

उत्सव बिना शोर के भी हो सकता है

कोर्ट ने कहा था कि उत्सव फुलझड़ी जलाकर या बिना शोर के भी हो सकता है. ग्रीन पटाखे की आड़ में पटाखा निर्माता प्रतिबंधित रसायन का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे जहां लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है वहीं, वातावरण भी प्रदूषित होता है. जब भी कोई उत्सव होता है तो आप देख सकते हैं कि बाजार में प्रतिबंधित पटाखे उपलब्ध हैं. बतादें कि तय सीमा में आवाज और धुएं वाले पटाखों को ही सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन यानी ईको फ्रेंडली पटाखा माना है.

क्या होते हैं ग्रीन पटाखे

ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है. इनमें नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की कम मात्रा इस्तेमाल होती है. पटाखों से सबसे ज्यादा नुकसान उन बुजुर्गों को होता है, जो एक तरफ बुढ़ापे का मार झेल रहे होते हैं और दूसरी तरफ तमाम बीमारियों से घिरे होते हैं. गर्भवती महिलाओं के लिए तो पटाखे किसी विनाशकारी हथियार से कम नहीं हैं. पटाखों की धुंध यानी स्मॉग से सांस फूलने, घबराहट, खांसी, हृदय और फेफड़े संबंधी दिक्कतें, आंखों में संक्रमण, दमा का अटैक, गले में संक्रमण आदि के खतरे होते हैं.

सिर्फ लखनऊ में ही पचास करोड़ का कारोबार

इसको देखते हुए यूपी सरकार भी सख्त हो गई है. वैसे तो सरकार ने पहले से ही केवल इको ग्रीन पटाखों को ही जलाने की अनुमति दे रखी है. मगर इसके बावजूद यूपी के ग्रामीण इलाकों में अवैध पटाखों का बड़ा कारोबार होता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ जिले में ही करीब पचास करोड़ का कारोबार फैला हुआ है. कई क्षेत्रों में बारूद जमाकर पटाखे बनाकर दीपावली पर सप्लाई किए जाते हैं. गोसाईगज, मोहनलालगंज और काकोरी इलाके में कई जगहों पर अवैध तरीके से पटाखे बनाए जाते हैं.

ग्राम प्रधानों और सचिवों को किया अलर्ट

प्रशासन ने इस बार अवैध पटाखों की रोकथाम के लिए नई योजना बनायी है. ग्राम पंचायतों को इसके लिए जवाबदेह बनाया गया है. जहां पर पहले से पटाखा कारोबार होता आया है उन ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों और सचिवों को अलर्ट कर दिया गया है उनसे कहा गया है कि कही पर भी अगर आशंका हो तो तत्काल संबंधित थाने या राजस्व कर्मियों को सूचित करेंगे. ग्रामीण इलाकों के थानेदारों को भी निर्देश दिए गए हैं कि पहले से जो लोग अवैध पटाखा कारोबार में लिप्त रहे हैं उनकी निगरानी की जाए. इसके अलावा कारोबारियों को भी सख्त निर्देश दिए गए हैं कि केवल इको ग्रीन पटाखों को ही बेचने की अनुमति होगी.

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