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1945-46 अविभाजित भारत के बटवारे का दर्द महसूस किया सभागार में

लखनऊ। निसर्ग संस्था के ‘लेखक एक नाटक अनेक’ थीम के तहत चल रहे अभिनव नाट्य समारोह का समापन नाटक गुलाम रिश्ते के मंचन के साथ हुआ। संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे सभागार में एक ही नाटककार मो असलम खान के पांच नाटकों के मंचन पिछले 15 जून से हो रहे थे। समारोह के आखिरी दिन रविवार को नाटक का प्रभावपूर्ण मंचन मो असलम के लेखन, देवाशीष मिश्र के निर्देशन व कंसर्ड थिएटर के प्रस्तुतिकरण में हुआ।

पांच दिवसीय निसर्ग अभिनव नाट्य समारोह का समापन

यह ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में लिखा गया काल्पनिक नाटक था। जिसमें दिखाया गया कि 1945-46 अविभाजित भारत के कराची नगर में बटवारे की आशंका और दंगों की संभावना से सभी लोग चिंतित हैं। कुछ राजनीतिक लोगों के दुश्चिन्तन से कराची में कांग्रेस अध्यक्ष सेठ चमन लाल और उपाध्यक्ष सोहराब के बीच मनमुटाव गहरा जाता है। जबकि उनके बीच भाइयों जैसा प्रेम था और परिवारों में एका था। देश दंगों की आग में झुलसने लगता है। सोहराब गलत लोगों की बातों में आकर सेठ चमन लाल की हत्या कर देते हैं। सेठ चमन लाल की पत्नी भारती व भर्ती के माता-पिता और एक कांग्रेस सदस्य रफीक किसी तरह बचते-बचाते दिल्ली आ जाते हैं। भारती के माता-पिता के पास उसका बेटा चंदन दो साल की उम्र से रह रहा है। भारती लॉ की पढ़ाई कर वकालत शुरू कर देती है। वहीं अपने छोटे भाई समान रफीक को अपना सहायक नियुक्त कर उसे भी वकालत की पढ़ाई करवाती है। नाटक में आशुतोष जायसवाल, अनुपम बिसारिया, शीलू मलिक, नरेंद्र पंजवानी, आदित्य कुमार वर्मा, प्रीति चौहान, देवांश, शुभम, दिवाकर, पारितोष, रक्षित, अनुभव, प्रणव, अविनाश सहित 40 कलाकारों ने प्रभावी किरदार निभाये। मंच निर्माण जामिया शकील व शिवरतन, प्रकाश परिकल्पना व संचालन मनीष सैनी, संगीत आशीष व शुभम, मेकअप अंशिका क्रियेशन का था।

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