Uncategorizedउत्तर प्रदेशटॉप न्यूजदेशमनोरंजनलाइफस्टाइलस्वास्थ्य

मच्छरों से बचने के लिए आईटीएन मच्छरदानी प्रयोग करें : डॉ. बाजपेयी

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष

आईटीएन मच्छरदानी का उपयोग करें-मच्छरजनित बीमारियों से बचें

लखनऊ । मौसम के बदलते ही मच्छरजनित बीमारियां जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया पाँव पसारने लगती हैं । मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के लिए हर साल स्वास्थ्य विभाग अभियान चलाता है और जागरूकता बढ़ाता है। इस बार स्वास्थ्य विभाग मच्छरों से बचने के लिए इन्टीग्रेड ट्रीटेड मॉसक्यूटो बेड नेट (आईटीएन) मच्छरदानी प्रयोग करने की सलाह दे रहा है। यह बात बुधवार को चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अपर निदेशक डा. जीएस बाजपेयी ने कही।

अपर निदेशक का कहना है कि मच्छरों से बचने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग भी हानिकारक होता है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम उन चीजों के उपयोग पर जोर दें, जिससे हमारा और हमारी आने वाली पीढ़ियों का स्वास्थ्य बेहतर बन सके । विश्व स्वास्थ्य दिवस (7 अप्रैल) एक ऐसा उपयुक्त अवसर है कि लोगों को हम इस बारे में भलीभांति अवगत कराएं । मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डा. शैलेश परिहार ने बताया कि आईटीएन के प्रयोग से जहां लागत कम आती है वहीं यह मनुष्य, जीव जंतुओं के क्रम में पर्यावरण के लिए उपयुक्त है । डा. मानवेंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि आईटीएन का सबसे पहले उपयोग असम में मलेरिया से बचाव के लिये किया गया था । इससे मलेरिया को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफलता मिली । इसी क्रम में उड़ीसा के खदान वाले क्षेत्रों में भी आईटीएन के प्रयोग से मलेरिया के नियंत्रण में आशातीत सफलता मिली है । लखीमपुर खीरी के दुधवा तराई क्षेत्र के थारु जनजातियों के 34 गांवों में इसके उपयोग से मलेरिया सहित अन्य वेक्टर बार्न रोगों पर भी काबू पाया गया ।

कैसे तैयार करें आईटीएन मच्छरदानी

डा. मानवेंद्र बताते हैं कि 15 मिली कीटनाशक को चार लीटर पानी में डालकर घोल तैयार करते हैं और उसमें सिंगल बेड मच्छरदानी को 10 मिनट भिगोकर बिना निचोड़े हुए छायादार जगह पर सुखा लेते हैं, इसे छह माह तक उपयोग किया जाता है। अच्छे से सूखने के बाद आईटीएन मच्छरदानी को प्रतिदिन सोते समय इसका उपयोग करें । यदि डबल बेड के लिए मच्छरदानी है तो कीटनाशक और पानी की मात्रा दुगुनी हो जाएगी । आईटीएन की इस पूरी प्रक्रिया के दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है । शरीर का कोई भी अंग कीटनाशक के संपर्क में नहीं आना चाहिए । इसलिए पर्सनल प्रोटेक्शन किट (पीपीई) पहनकर के ही आईटीएन की प्रक्रिया सम्पन्न की जाती है ।

Related Articles

Back to top button