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अब शर्तिया ‘खर्राटा’ नहीं आयेंगे, केजीएमयू के डॉक्टरों ने किया अजूबा शोध


पहली बार अन्तराष्ट्रीय स्तर पर फर्स्ट व सेकेंड चयनित हुए केजीमएयू दंत विभाग के दो रिसचर्स

लखनऊ। सोते समय खर्राटा आमजनों में बहुत बड़ी समस्या है,अभी तक लाइलाज समस्या थी मगर अब केजीएमयू में प्रास्थोडॉटिक्स विभाग के चिकित्सकों ने शोध से एक डिवाइस तैयार की है, यह डिवाइस प्रत्येक व्यक्ति के मुंह की साइज से बनाई जाती है और रात को सोते समय मुंह के अंदर पहन लेने के बाद, खर्राटा नहीं आते हैं। इस शोध पत्र की उपयोगिता और महत्ता का अंदाजा लगा सकते हैं, जब आपको पता चले कि इस शोध के दुनिया भर के डेंटिस्टों ने, सर्वोच्छ शोध घोषित किया है। इस शोध को दुनिया की इकलौती संस्था, इंटरनेशनल कॉलेज आफ प्रोस्थोडोंटिस्ट्स यूएसए ने प्रथम स्थान देते हुए, 1000 डालर का पुरुस्कार दिया है।

मुंह के अंदर पहने मैंन्डिबुलर एडवांसमेंट डिवाइस (एम ए डी)


शोध की जानकारी देते हुए प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग के, रिसर्च में गाइड प्रो.रघुवर दयाल सिंह ने बताया कि खर्राटा आम समस्या है, तमाम शोध हुयें हैं मगर पूर्णतया समाधान नही माना जाता है। उक्त समस्या को लेकर, विभाग में जूनियर रेजिडेंट 3, डॉ.ज्योत्सना विमल ने, विभागाध्यक्ष प्रो.पूरन चन्द्र,प्रो.बालेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ.सुनीत कुमार जुरेल और मेरे निर्देशन में, मरीजों में शोध शुरु किया लगभग एक वर्ष के शोध के बाद, एके्रलिक से निर्मित मुंह के अंदर की डिवाइस तैयार की। जिसे मैंन्डिबुलर एडवांसमेंट डिवाइस (एम ए डी)नाम दिया गया। डॉ.सिंह ने बताया कि यह डिवाइस प्रत्येक व्यक्ति के मुंह के साइज की तैयार की जाती है, मुंह की नाप लेकर दांतों में पहनने वाली डिवाइस तैयार करते हैं जिसके पहनने के बाद नीचे का जबड़ा, ऊपर के जबड़े से आगे बैठता है। जिसके बाद नाक से ली गई सांस गले में पहुंचती है, जहां पर डिवाइस की वजह से गले में पर्याप्त स्थान बन जाता है। यहां पर सांस आसानी से मूव करते हुए फेफड़े में चली जाती है। गले में अवरोध खत्म होने के बाद सांस को सीधा प्रवाह मिल जाता है और खर्राटे नही आते हैं।

नकली दांत लगवाने के बाद भी शरीर में कमी नही पड़ती पोषक तत्वों की


प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग में ही किये गया दूसरा शोध भी, जिसे पूरी दुनिया के डॉक्टरों को मंजूरी देनी पड़ी। डॉ.रघुवर दयाल ने बताया कि अभी तक माना जाता रहा है कि नकली दांत (बत्तीसी) का उपयोग करने वालों के शरीर में •ोजन के पूरे पोषक तत्व नही पहुंचते हैं। क्योंकि वे सभी कुछ अच्छे से चबा नही पाते हैं और चबाने के अभाव में शरीर को आवश्यक विटमिन व मिनरल्स आदि की आपूर्ति नही होती है। केजीएमयू के शोध ने, दुनिया भर के डेटिंस्टों के इस मिथक को तोड़ दिया है। शोध से ज्ञात हुआ कि डेंचर का प्रयोग करने वालों के शरीर में सभी आवश्यक मिनरल्स व विटमिन पहुंचते हैं जो कि प्राकृतिक दांत के व्यक्ति में पहुंचते हैं। बशर्ते व्यक्ति उक्त पोषक तत्व से युक्त फल,सब्जी व अनाज आदि का सेवन करता हो। डॉ.सिंह ने बताया कि •ोज्य पदार्थो में चना समेत कई पदार्थ सख्त होते हैं, उन्हें पीसकर या कुचला हुआ या पेस्ट बनाकर सेवन करने की सलाह दी जाती है। ताकि पूर्ण पोषण हो सके। उन्होंने बताया कि इस शोध को भी अंतराष्ट्रीय संस्था, इंटरनेशनल कॉलेज आफ प्रोस्थोडोंटिक्स यूएसए की अंतराष्ट्रीय कांफ्रेंस में दूसरा स्थान प्रदान किया गया है। फलस्वरूप 1000 डालर प्रदान किये गये हैं।

पहली बार दुनिया में केजीएमयू के दो शोध सर्वश्रेष्ठ घोषित होने पर कुलपति ले.ज.डॉ.विपिन पुरी ने दिल से दी बधाई


प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग के शिक्षकों के अंडर में जे.आर द्वारा किये गये शोधों को अंतराष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च स्थान प्राप्त होने पर केजीएमयू के कुलपति ले.ज. डॉ.विपिन पुरी बहुत प्रसन्न हैं। डॉ.पुरी ने,अंतराष्ट्रीय कांफ्रेंस में पहली बार केजीएमयू के •ोजे गए दो शोध, और दोनो को दुनिया भर के विशेषज्ञों की स्वीकार्यता मिलने और सर्वोच्च स्थान प्राप्त होने व अवार्ड मिलने पर , छात्र व शिक्षकों की पूरी टीम को हृदय से बधाई दी और छात्रों द्वारा अंतराष्ट्रीय स्तर पर सहभागिता करने पर खुशी जताते हुए श्ुा•ाकामनाएं दी।

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