एसिड पीड़ित हो या बर्न मरीज, पहले से ज्यादा बेहतर इलाज
लखनऊ। एसिड पीड़ितों के अंगों पर खासा प्रभाव पड़ता है, जैसे चेहरे की नाक, कान या गाल आदि खिंचे खिंचे हो जाते हैं, उन्हें अब सर्जरी से सुधार जा सकता है। पूर्णतया पूर्व जैसा भले ही न बने, मगर सामान्य जीवन यापन में होने वाली दिक्कतें खत्म हो जाती हैं और देखने में सुन्दरता बढ़ जाती है। पीजीआई में अब तक करीब तीन दर्जन से ज्यादा एसिड पीड़िताओं की सर्जरी कर, उन्हें उपचारित किया जा चुका है। यह जानकारी पीजीआई के विभागाध्यक्ष डॉ.राजीव अग्रवाल ने, रविवार को नेशनल एकेडमी आफ बर्न की विडियो सीएमई 2021 के दूसरे व अंतिम दिन दी।
निजी होटल में आयोजित दो दिवसीय क्रांफे्रंस में डॉ.अग्रवाल ने बताया कि एसिड पीड़िता हो या गंभीर बर्न, छोटे अंग जल जाते हैं, छेद बंद हो जाते हैं। स्किन में खिंचाव बना रहता है। सामान्य जीवन, दिक्कतों भरा होता है, आंखों का एरिया बिगड़ जाने से चेहरे की सुन्दरता खत्म हो जाती है। ऐसे मरीजों को प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञों द्वारा बेहतर इलाज दिया जा रहा है। मरीज के शरीर से ही स्किन व मांसपेशियां लेकर अंगों का निर्माण किया जाता है।
बर्न स्थान पर नारियल का तेल व एलोवीरा जैल प्रयोग करना चाहिये
नेशनल एकेडमी आफ बर्न एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.संजय उप्पल ने बताया कि बर्न मरीजों में इमरजेंसी व घाव भर जाने के बाद भी, खुजली, खिंचाव और जलन आदि की समस्याएं बनी रह सकती हैं। ऐसे व्यक्तियों को बर्न स्थान पर नारियल का तेल व एलोवीरा जैल, आदि का प्रयोग करना चाहिये। उक्त स्थान पर नमी बनाए रखनी चाहिये, इसके अलावा कुछ मेडिकेटेट क्रीम भी जा चुकी हैं, जो खुजली खत्म के साथ ही पड़ने वाले निशान को भी खत्म करती हैं।