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जुड़वा शरीर को टाकर, शिशु को सामान्य बना दिया केजीएमयू के डाक्टरों ने

लखनऊ। केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में ढ़ाई माह के बच्चे को विकृत मुक्त कर सामान्य बना दिया। शिशु की कमर पीठ में जन्मजात जुड़वा शरीर था, जिसमें हाथ,पैर व कमर बनी थी मगर सिर नही था। जोकि रीढ़ की हड़डी से पोषित हो रहा था, पीडियाट्रिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. जेडी रावत और उनकी टीम ने 3 नवम्बर को सफलता पूर्वक सर्जरी कर उसे अन्य सामान्य बच्चों की तरह बना दिया। डाक्टरों की इस सफलता से बच्चे के अभीवावक सुशील यादव व उनके परिवारीजन गदगद हैं।

रीढ़ के निचले हिस्से और नसों के साथ जुड़ा था अविकसित अर्ध शरीर

प्रो.जेडी रावत ने बताया कि कमलापुर, सीतापुर निवासी सुशील यादव की पत्नी प्रीति यादव ने 22 अगस्त को एक शिशु को जन्म दिया, मगर जन्में शिशु की पीठ की तरफ जुड़वा शरीर भी था। जिसके सिर नही था,अविकसित अर्ध शरीर था। जिसे लेकर दंपति कई डाक्टरों के पास पहुंचे, जहां से उन्हें केजीएमयू भेजा गया। केजीएमयू में पीडियाट्रिक सर्जरी की ओपीडी में देखकर, एमआरआई व अन्य जांच कराने पर ज्ञात हुआ कि पैरासिटिक द्रविन हैं रीढ़ के निचले हिस्से और नसों के साथ जुड़ा है। जिससे इसका पोषण हो रहा था। इसके बाद 3 नवंबर को सर्जरी प्लान की गई और सावधानी पूर्वक मरीज के शरीर से पैरासिटिक द्रविन को अलग किया गया। सर्जरी में डॉ. रावत के साथ एनेस्थिसिया के डॉ.सतीश कुमार व सिस्टर वंदना व अंजु ने अह्म भूमिका निभाई।

जुड़वा गर्भस्थ होता है पैरासिटिक द्रविन
डॉ.रावत ने बताया कि पैरासिटिक द्रविन या परजीवी उस जुड़वा की तरह होते हैं, जो पूरी तरह से एक-दूसरे के शरीर से अलग नही होते हैं। जुड़वा बच्चों में से एक मर जाता है लेकिन उसके शरीर के कुछ हिस्से पैरासाइट या परजीवी की तरह दूसरे जीवित बच्चे के किसी भी अंग के साथ पोषण पाकर बढ़ता रहता है।

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