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चहेतो को नौकरी दिलाने में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने लांघी मर्यादा की दीवार, खड़ी कर दी बेरोजगारों की फौज

चयन आयोग में भी घोटाला, बिना डिप्लोमा मिली सैकड़ों लैब टेक्नीशियनों को नियुक्ति

  • 2016 में एलटी के 921 पदों की भर्ती में आयोग व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिली भगत का मामला पहुंचा न्यायालय – अंतिम तिथि तक डिप्लोमा पूरा करने वाले 300 अभ्यर्थियों को मिली नियुक्ति

लखनऊ ।: चहेतों को टेक्नीशियन की नौकरी दिलाने में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अपनी ही कलम का दुरुपयोग नहीं किया, बल्कि उप्र. अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के कार्यालय में भी घुस गए। आयोग के अधिकारियों से सांठगांठ कर,जमकर फर्जीवाड़ा किया और दोनो हाथों से लैब टेक्नीशियन की रेवड़ी बांटी। योग्य अभ्यर्थियों का हक मारने वालों की वजह से मामला न्यायालय में पहुंचा और न्यायालय के हस्तक्षेप से अब तक नई भर्तियों पर रोक लग है और बेरोजगार डिप्लोमाधारियों की फौज हर साल बढ़ रही है।

प्रतीक स्वरूप चित्र


पीड़ित अभ्यर्थियों का कहना है कि लैब टेक्नीशियन(एलटी) के 921 पदों के लिए विज्ञापन संख्या 17-परीक्षा/2016 की चयन प्रक्रिया में अनियमित्ताएं बरती गईं, 2019 में सैकड़ों ऐसे अभ्यर्थियों को नौकरी मिल गयी जो आवेदन करने की तिथि तक 5 अक्टूबर 2016 तक अर्ह ही नहीं थे।

क्या है मामला

उन्होंने बताया कि 15 सितंबर 2016 को स्वास्थ्य विभाग में 729 और चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए 192 पद, कुल 921 लैब टेक्नीशियन पदों के लिए आयोग द्वारा अंतिम तिथि 5 अक्टूबर 2016 तक आवेदन मांगे गए थे। निर्धारित चयन प्रक्रिया के तहत 7,8 व 9 नवंबर 2016 को निर्धारित परीक्षाएं भी आयोजित की गयी। नियमानुसार, किसी भी भर्ती में शैक्षिक योग्यता विज्ञापन की अंतिम तिथि तक पूर्ण होनी चाहिए, लेकिन इस शर्त की अनदेखी की गयी। इतना ही नहीं, आयोग और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच आदेश (रिट संख्या 145/2017) की गलत व्याख्या कर 2019 में लगभग 250 से 300 अयोग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई। जो विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में कार्यरत भी हैं।

शिकायतकर्ताओं ने कहा कि अधिकारियों की घोर अनियमित्ताओं को लेकर न्यायालय में पुन: डबल बेंच में गए, जहां मामला विचाराधीन है। अधिकारियों के इस घोटाले से हजारों योग्य और प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को अपने हक से वंचित होना पड़ा है।


आरोपित टेक्नीशियन

शिकायत कर्ताओं ने शिकायत के साक्ष्य रूप में न्यायालय में तमाम चयनित अयोग्य अभ्यर्थियों की शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए हैं, जो वर्तमान में नौकरी कर रहे हैं, उनमें भूपेंद्र व उमंग चौधरी (मेडिकल कॉलेज, झांसी), अतुल चौरसिया (मेडिकल कॉलेज, कन्नौज), कीर्ति (सीएमओ, रायबरेली), रेनू कुमारी (महिला अस्पताल, गाजियाबाद), अमित गौतम (सीएमओ, कानपुर देहात), अखिलेश कुशवाहा (सीएमओ, प्रतापगढ़) और रस्मी सिंह (सीएमओ, गौतमबुद्ध नगर) जैसे कई नाम शामिल हैं।

मांग के साथ सरकार को चेतावनी

पीड़ित अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री समेत अन्य अधिकारियों से मांग की है कि चयनित सभी अभ्यर्थियों की मार्कशीट और डिग्री की जांच कराई जाए। अंतिम तिथि के बाद डिप्लोमा प्राप्त करने वालों को तत्काल सेवा से हटाया जाए और पूरे मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए। दोषी अधिकारियों और आयोग के जिम्मेदार पदाधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए। अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो वे न्याय की लड़ाई और तेज़ करेंगे।

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