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अस्तित्व बचाने को फार्मासिस्टों को आवाज उठानी होगी


फार्मासिस्टों ने मनाया अधिकार दिवस

लखनऊ। जिला अस्पताल और महिला अस्पताल मिलाकर मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं और वहां पर पूर्व से सृजित पद समाप्त हो रहे हैं। प्रदेश के लगभग दो हजार फार्मासिस्ट, चीफ फार्मासिस्ट, प्रभारी अधिकारी फार्मेसी के पद समाप्त हो जाएंगे तो फिर नई नियुक्तियां नहीं हो पायेंगी। आज आवश्यकता है कि फार्मेसिस्ट अपने अधिकारों की जानकारी रखें और अधिकारों की रक्षा में आवाज उठाये। यह बात सोमवार को फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने कही। फार्मासिस्टों की समस्याओं संबन्धित ज्ञापन, मुख्यमंत्री को भेजा जायेगा।

वन विभाग कार्यालय में आयोजित फार्मासिस्ट अधिकार दिवस कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि उप्र में फार्मासिस्ट संवर्ग के लिए रोजगार सृजन और अधिकारों की रक्षा के लिए आज फार्मासिस्टों ने अधिकार दिवस मनाया। उन्होंने बताया कि वैलनेस सेंटर पर सीएचओ (कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर) के साथ फार्मेसिस्टो को भी तैनात किए जाने नियम था, मगर लागू नहीं किया गया है। शुरूआत में तो सीएचओ को केवल नर्सिंग संवर्ग के योग्य माना गया और अब तो कुछ दवाएं वितरित करने का अधिकार भी दिया गया जो नैतिक रूप से फार्मासिस्टो के अधिकारों का हनन है।

एक मंच पर आये फार्मासिस्ट
आज अधिकार दिवस के अवसर पर फार्मासिस्ट फडरेशन के बैनर तले सभी विधाओं के फार्मासिस्ट जुटे। जिसमें होम्योपैथी,आयुर्वेद तथा वेटरनरी फार्मासिस्ट प्रमुख रूप से शामिल रहे। फार्मासिस्ट फडरेशन की यूथ विंग के पदाधिकारियों की घोषणा की गयी।

क्या है ज्ञापन
फार्मासिस्ट फेडरेशन द्वारा मुख्यमंत्री को अवगत कराया जायेगा कि मेडिकल कॉलेज बन रहें अस्पतालों में कर्मचारियों के पद खत्म हो रहें हैं। सभी पद समाप्त हो जाएंगे, जिससे कार्मिक नीचे के पदों से ही सेवानिवृत्त होने लगेंगे। इससे नई नियुक्तियों में जटिलताएं उत्पन्न होंगी। फेडरेशन ने अनुरोध किया है कि मेडिकल कॉलेज बनाते समय जिला चिकित्सालय एवं महिला चिकित्सालय को संबद्ध चिकित्सालय का दर्जा दिया जाए एवं कार्मिकों को पूर्ववत बने रहने दिया जाए। लाखो बेरोजगार फार्मेसिस्टों के लिए रोजगार का सृजन किया जाए। उक्त समस्याएं समेत कुल 12 सुझावों का ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा जायेगा।

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