गुरु ही निस्वार्थ भाव से अपने शिष्य को सत्य की राह पर चलना सिखाते हैं : आचार्य दयासागर
जिसका कोई गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं
लखनऊ , चातुर्मास कर रहे दिगंबर जैन संत परम पूज्य आचार्य श्री 108 दयासागर ने जैन मंदिर इन्दिरा नगर मे आज अपने प्रवचनों मे बताया की जिसका कोई गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन को किसी न किसी को अपना गुरु अवश्य बनाना चाहिए । क्योकि गुरु ही ऐसे व्यक्तित्व हैं जो निस्वार्थ भाव से अपने शिष्य को सत्य की राह पर चलना सिखाते हैं एवं जीवन मे सामने आ रही परेशानियों से बचने का मार्ग भी दिखते हैं । कहा गया है गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाव , बलिहारी गुरु आपकी गोविंद दियो बताए । प्रभु की शरण मे जाने का मार्ग भी गुरु के बिना संभव नहीं हैं । गुरुदेव बताते हैं की गुरु के पाद मूल मे बैठ कर उनके निर्देशन मे किसी प्रकार का भी जाप अनुष्ठान आदि करने से ही उत्तम फल की प्राप्ति संभव है ।
जैन समाज के मंत्री अभिषेक जैन ने बताया की आचार्य के सानिध्य मे दिनांक 1 अगस्त को याहियागंज जैन मंदिर मे अतिशयकारी 1008 भगवान चंद्रप्रभु की मूर्ति की पुनः प्रतिष्ठा कर स्थापना की जाएगी ।
संस्थान के अध्यक्ष श्री अनूप जैन ने बताया आचार्य श्री के सानिध्य मे लखनऊ मे महती धर्म प्रभावना हो रही है एवं शीघ्र ही योग साधन शिविर का आयोजन भी जिआन मंदिर मे किया जाएगा ।
आज भगवान के अभिषेक शांतिधारा करने का सौभाग्य श्रीमान श्रवण जैन एवं अमित जैन को प्राप्त हुआ । इस अवसर पर मुख्य रूप से डा.सीमा जैन प्रेमलता जैन शशि जैन अनुरोध जैन शिप्रा जैन संजीव जैन मनोज जैन आदि उपस्थित हुये ।