रूस ने यूक्रेन में उतारें बेहद खूंखार, बर्बर और बेरहम कमांडोज़
रूस ने पूरी आक्रमकता से साथ यूक्रेन में हमला बोला हैं। ऐसी खबरें हैं कि रूस की फौजों के साथ घातक स्पिएत्सनाज़ कमांडोज़ भी यूक्रेन की सीमा में घुस चुके हैं। अत्याधुनिक हथियारों से लैस ये स्पेशल कमांडोज़ बेहद खतरनाक माने जाते हैं। इनका अपना खूनी इतिहास रहा है। खबरों में कहा जा रहा है कि इन्हीं कमांडोज़ की अगुआई में रूसी सेना अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रही है।
अलग कमांडो यूनिट है, स्पिएत्सनाज़
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1991 से पहले रूस की मिलिट्री एजेंसी केजीबी हुआ करती थी, जो बेहद कुख्यात थी। लेकिन सोवियत संघ के विघटन के बाद केजीबी की जगह जीआरयू ने ले ली। सेना के लिए खुफिया जानकारी जुटाने के अलावा इसकी अपनी अलग कमांडो यूनिट है, जिसे स्पिएत्सनाज़ कहा जाता है। इसका मुख्य काम दुश्मन के इलाकों की टोह लेना और उन्हें तबाह करना है।
स्पिएत्सनाज़ यूनिट का इस्तेमाल रूस के बड़े अभियानों में
एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्पिएत्सनाज़ यूनिट का गठन 1949 में हुआ था। सोवियत संघ के विघटन के बाद स्पिएत्सनाज़ यूनिट का इस्तेमाल सुरक्षा और आतंकवादी विरोधी गतिविधियों में किया जाने लगा। इस यूनिट का इस्तेमाल रूस के बड़े अभियानों में ही किया जाता है। सीरिया पर हमले के दौरान इस यूनिट की अहम भूमिका रही थी। दो दशक पहले चेचन्या के उग्रवादियों के सफाए में इसके कमांडोज ने काफी कहर बरपाया था। इसकी एक यूनिट है वेगा, जो परमाणु घटनाओं से निपटने के लिए खासतौर से ट्रेंड है। फेकल नाम की एक यूनिट को बंधक संकट के दौरान कार्रवाई के लिए बुलाया जाता है।
स्पिएत्सनाज़ यूनिट में डेढ़ से दो हजार कमांडो
खबर के मुताबिक, स्पिएत्सनाज़ यूनिट में डेढ़ से दो हजार कमांडो होते हैं। फेडरल सिक्योरिटी सर्विस के तहत ये यूनिट काम करती है। स्पिएत्सनाज़ कमांडो बनना कोई आसान नहीं है। रूस की सेना में से खास सैनिकों को चुनकर इस यूनिट में भर्ती किया जाता है। इसकी भर्ती प्रक्रिया पूरी होने में लगभग 5 महीने लग जाते हैं। उसके बाद करीब 5 साल की ट्रेनिंग के बाद स्पिएत्सनाज़ कमांडो तैयार होते हैं। इन्हें बेहद खूंखार, बर्बर और बेरहम माना जाता है।