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मनचाहे नर्सिंग व पैरामेडिकल कोर्स में दाखिला ले सकेंगे छात्र

निजी नर्सिंग व पैरामेडिकल कॉलेजों की मनमाने दाखिले पर कसेगी लगाम

दाखिले की केंद्रीय व्यवस्था की नीति जल्द होगी लागू

लखनऊ।
नर्सिंग व पैरामेडिकल की पढ़ाई की चाहत रखने वाले छात्रों के लिए अच्छी खबर है। उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी में मेधावी मनचाहे कोर्स में दाखिला ले सकेंगे। यही नहीं, निजी कॉलेज मनमाने तरीके से दाखिला भी नहीं ले सकेंगे। न्यूनतम योग्यता व इंटरमीडिएट में मिले अंक के आधार पर मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी। राज्यस्तरीय मेरिट बनाई जाएगी। इसके आधार पर छात्र कोर्स में दाखिला ले सकेंगे।
प्रदेश में एएनएम की 19220 जीएनएम की 18323 सीटें हैं। पैरामेडिकल की 20 हजार से ज्यादा सीटें हैं। उप्र स्टेट मेडिकल फैकल्टी के माध्यम से दाखिले होते हैं। इन पाठ्यक्रमों में दाखिले की केंद्रीय व्यवस्था बनाई जा रही है। इसका फायदा मेधावी छात्र-छात्राओं को मिलेगा। मेधावी मनचाहे कोर्स एएनएम, जीएनएम व पैरामेडिकल में दाखिला ले सकेंगे।

निजी कॉलेज की मनमानी रुकेगी
जीएनएम, एएनएम और पैरामेडिकल कोर्सों में अब निजी कॉलेज अपनी मर्जी से एडमिशन नहीं ले पाएंगे। न्यूनतम योग्यता व इंटरमीडिएट में मिले नंबर के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी। उप्र स्टेट मेडिकल फैकल्टी में आने वाले आवेदनों में न्यूनतम योग्यता व इंटरमीडिएट में मिले नंबरों के हिसाब से राज्य स्तरीय मेरिट बनाई जाएगी। फिर काउंसिलिंग के जरिए कॉलेज आवंटित किए जाएंगे। अभी तक यह आरोप लगता था कि कॉलेजों की मिलीभगत से कम मेरिट वाले छात्रों को मनचाहे कोर्स और कॉलेज में दाखिला मिल जाता है। पर, नई व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी। मेधावी छात्रों के साथ न्याय होगा।

ये है कोर्सवार अर्हता
-एएनएम-इंटरमीडिएट के साथ न्यूनतम उम्र 17 वर्ष। सीबीएसई से अंग्रेजी के साथ हेल्थ केयर साइंस में 40 फीसदी अंक पाने वाले।
-जीएनएम- इंटरमीडिएट (विज्ञान), 40 फीसदी अंक अंग्रेजी के साथ न्यूनतम उम्र 17 वर्ष
-पैरामेडिकल- न्यूनतम उम्र 17 वर्ष और इंटरमीडिएट (विज्ञान) में 40 फीसदी अंक होना अनिवार्य।

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मरीजों को बेहतर उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए लगातार कदम उठाये जा रहे हैं। नर्सिंग व पैरामेडिकल कॉलेजों की दशा सुधारी जा रही है। मानकों को पूरा करने पर जोर है। राजकीय व निजी कॉलेज में दाखिले की व्यवस्था को पारदर्शी किया जा रहा है। प्रशिक्षित एएनएम, जीएनएम व पैरामेडिकल स्टाफ से रोगियों के उपचार की राह आसान होगी। सटीक उपचार मिलने से रोगी जल्द ठीक होंगे। अस्पताल में रोगी कम समय के लिए भर्ती होंगे।

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