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  न्यूरो सर्जन्स के पास है गंभीर मिर्गी रोगियों का इलाज

लखनऊ।  बच्चे में मिर्गी के दौरा पड़ता है तो लापरवाही न करें, विशेषज्ञ चिकित्सक  से परामर्श जरूर ले, क्योंकि ये दौरे बच्चे का मानसिक विकास अवरूद्ध कर सकते हैं।  मिर्गी मरीजों में 70 प्रतिशत मरीजों को दवाओं से और 10 प्रतिशत मरीजों को सर्जरी द्वारा ठीक किया जाता है। साऊथ अफ्रिका के  क्रिकेटर जोंटी रोड को भी मिर्गी के दौरे आते थे मगर उन्होंने दवाओं एवं स्वयं की एकाग्रता से बीमारी से निजात पाई। यह जानकारी शनिवार को केजीएमयू में न्यूरोसर्जरी विभाग के स्थापना दिवस के अवसर पर  विभागाध्यक्ष प्रो.बीके ओझा ने दी। आजमगढ़ के न्यूरोसर्जन डॉ. अनूप सिंह द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन मुख्य अतिथि, पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.मजहर हुसैन ने किया गया।

केजीएमयू में न्यूरो सर्जरी विभाग का 28 वां स्थापना दिवस समारोह संपन्न

केजीएमयू में न्यूरो सर्जरी के 28 वें स्थापना दिवस के अवसर पर शताब्दी अस्पताल फेज टू के 8 वें तल पर सभागार में आयोजित सीएमई में बंगलौर के डॉ.रवि मोहन ने लाइव सर्जरी कर प्रशिक्षण देते हुए बताया कि  सर्जरी के लिए भेजे जाने वाले 30 प्रतिशत मरीजों में भी केवल एक तिहाई मिर्गी मरीज ही सर्जरी के लिए उपयुक्त होते हैं। इसलिए मिग्री रोगियों का अध्ययन करना चाहिये, संबन्धित जांचे और एनेस्थेटिक चिकित्सक से भी मशविरा लेना चाहिये।  सीएमई में चेन्नई के डॉ. दिनेश नायक ने मिर्गी की सर्जरी के लिए मामले के चयन के बारे में बताया। बैंगलोर के ही डॉ. सुजीत कुमार,केजीएमयू की डॉ. मोनिका कोहली व प्रो. अनित परिहार ने मिर्गी सर्जरी के मामलों में विस्तृत जानकारी दी। एम्स जोधपुर के डॉ. दीपक झा व डॉ विकास जानू, लखनऊ के डॉ. सुनील सिंह व डॉ मोहम्मद कैफ, दिल्ली के डॉ. नागेश चंद्रा और मुंबई के डॉ. रोहन दिगारसे ने भारत और विदेशों में विभिन्न फैलोशिप के बारे में जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर कार्यक्रम में डीन प्रो.एके त्रिपाठी बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहें। प्राक्टर डॉ.क्षितिज श्रीवास्तव, डॉ.अंकुर बजाज समेत विभाग के सभी शिक्षक, चिकित्सक व रेजीडेंट्स मौजूद रहें।

ब्रेन ट्यूमर में बरते सावधानी

सीएमई में प्रो.जीबी न्यूटन व वीएस दवे की स्मृति में आयोजित दवे व न्यूट ओरेशन में तिरुवनंतपुरम के प्रो. सुरेश नायर ने सावधानी पूर्वक ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी की बारीकियां समझाई। उन्होंने ब्रेन के छोटे हिस्से, अर्थात छोटे ब्रेन के साइड में वेस्टिबुलर सचवानोम्मा टयूमर, जिसके आसपास मुह को जानेवाली नसे व कान में सुनाई पड़ने वाली नसे होती हैं। असावधानी होने पर नर्सो के प्रभावित होते ही मुह टेढ़ा और सुनने की क्षमता खत्म हो सकती है। इसलिए  सर्जरी में  मेंटेन द एरोचनाइड प्लेन तरीका अपनाना चाहिये। उन्होंने बताया कि ब्रेन ट्यूटमर एक छिल्ली में होता है, नर्व सिस्टम इस छिल्ली के बाहर होती हैं। इसलिए सर्जरी के दौरान उक्त छिल्ली को ही कट कर ट्यूमर निकालना चाहिये। इसके लिए कान के पीछे पांच सेमी का चीरा लगाना होता है।

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