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पीजी चिकित्सकों को फैलोशिप करने को मिली अनुमति, बांड में छूट



लखनऊ। सरकारी चिकित्सा संस्थानों से पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुके चिकित्सकों को डायरेक्ट्रल, फैलोशिप या समतुल्य अन्य पाठयक्रम की शिक्षा प्राप्त करने में पूर्व में भरा गया बांड रूकावट नहीं बनेगा। बांड अनुपालन में शिथिलता प्रदान की गई है। चिकित्सा शिक्षा संस्थान द्वारा गुरुवार को निर्देश जारी किया गया है कि पोस्ट ग्रेजुएट हो चुके चिकित्सक, फैलोशिप या अन्य कोई भी डिग्री प्राप्त करने के बाद पुन: बांड में दी शर्तानुसार सरकारी संस्थानों में सेवाएं दे सकते हैं।

प्रवेश मिलने पर ही मिलेगी अनुमति


चिकित्सा शिक्षा में संयुक्त सचिव अनिल कुमार सिंह द्वारा जारी आदेश के कहा गया है कि, सरकारी मेडिकल कॉलेज, संस्थान व चिकित्सा विश्वविद्यालयों से विभिन्न विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त कर चुके विशेषज्ञ चिकित्सकों को, नेशनल बोर्ड एक्जामिनेशन (एनबीई) द्वारा फैलोशिप या किसी अन्य पाठयक्रम में प्रवेश मिल जाता है तो उन्हें बांड के तहत रोका नहीं जायेगा।


आदेश में है कि विभाग द्वारा उन्हें रियायत देते हुए अनुमति प्रदान की जायेगी। शर्त होगी कि उक्त कोर्स पूरा करने के बाद चिकित्सक को बांड के अंतर्गत, सरकारी संस्थान में दो साल की सेवा देने की शेष अवधि पूरी करनी होगी। फैलोशिप या अन्य कोर्स करने वाली अवधि को बांड में दी गई अवधि में सम्मलित नही किया जायेगा।


अभी तक आने वाली दिक्कत
डीएम, एमसीएच आदि पीजी डिग्री प्राप्त करने वाले विशेषज्ञ चिकित्सक पोस्ट डाक्टरल एडवांस फैलोशिप व अन्य समकक्ष पाठयक्रम में प्रवेश प्राप्त करने के लिए नेशनल बोर्ड एक्जामिनेशन, नई दिल्ली में आवेदन करते है। काउंसिलिंग द्वारा कई को पीडीसीसी, पोस्ट डाक्टरल एडवांस फैलोशिप (पीडीएएफ), पीडीएफ, फैलोशिप, पीडीसीईटी, डीएनबीएसएस व अन्य समकक्ष पाठयक्रमों में प्रवेश मिल जाता है मगर पढ़ाई करने की अनुमति चिकित्सा शिक्षा संस्थान द्वारा नहीं मिलती है। अनुमति में पूर्व भरा गया बांड अड़चन करता है। जिसकी वजह से तमाम चिकित्सक फैलोशिप या सम्तुल्य कोर्स नही कर पाते हैं। नये आदेश में केवल उक्त दिक्कत को ही दूर किया गया है।
क्या है बांड में
किसी भी सरकारी संस्थान से एमडी, एमएस, सुपर स्पेशयलिटी एमसीएच आदि पीजी डिग्री प्राप्त करने वालों चिकित्सकों से पीजी में प्रवेश के पूर्व ही बांड भरना होता है। बांड के तहत पीजी करने के बाद दो साल तक सरकारी चिकित्सा संस्थानों में सेवाएं देनी होती है। इसी प्रकार एमबीबीएस करने वालों को एक तक सरकारी संस्थानों में सेवाएं देनी होती हैं। इसका भी बांड भरना होता है। बांड की शर्त पूरा करने के बाद ही चिकित्सा संस्थान द्वारा चिकित्सक के मूल प्रपत्र वापस किये जाते हैं।

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