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जल जीवन मिशन के तहत यूपी मे 49,75,160 घरों तक नल से शुद्ध पेयजल पहुंचा

-स्वच्छ भारत अभियान की सफलता से हर साल बचाई जा रही तीन लाख से अधिक शिशुओं की जान

-एसबीएम की सफलता के कारण देश की 50 प्रतिशत आबादी सालाना 56,000 रुपये स्वास्थ मद में बचा रही है

लखनऊ। स्वच्छ भारत अभियान के बाद जल जीवन मिशन भी शिशुओं को भी बीमारियों से बचा रही है। स्वच्छ भारत अभियान से देश में हर साल तीन लाख से अधिक शिशुओं की जान बच रही है, वहीं स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने पर उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्युदर में बड़ी गिरावट आई है। सफलता को देखते हुये अंतराष्ट्रीय स्तर पर योजनाओं को पसन्द किया जा रहा है।

ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की योजना (जल जीवन मिशन) को लेकर नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकी प्रोफेसर माइकल क्रेमर का दावा है कि इस योजना से बाल मृत्यु दर में बड़ी गिरावट देखी जा रही है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने भी तारीफ करते हुए कहा था कि दुनिया के दूसरे पिछड़े देशों में भी इस तरह की योजनाएं लागू की जानी चाहिए।

2024 तक हर घर स्वच्छ जल पहुंचाना है लक्ष्य

वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जल शक्ति मंत्रालय ने ‘जल जीवन मिशन’ योजना की शुरुआत की थी। योजनांतर्गत 2024 तक ग्रामीण इलाकों में सभी घरों को नल से शुद्ध व सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया है। अबतक करीब 54 फीसदी घरों को स्वच्छ पेयजल योजना से जोड़ा जा चुका है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि महज बीते तीन साल में सात करोड़ से अधिक घरों को योजना से जोड़ा जा चुका है।

स्वच्छ भारत अभियान ने गढ़ी नए भारत की तस्वीर

स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट के अनुसार वर्ष 2014 में देश में शौचालय की उपलब्धता मात्र 38.70 प्रतिशत थी, जबकि इस पर खर्च 54 बिलियन डॉलर अर्थात घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत था। स्वच्छता के अभाव में बीमारियां फैलती थी, सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते थे, इन बीमारियों से हर साल करीब 1.5 लाख मौतें हो जाती थी। मगर, 2014 में केन्द्र की नई सरकार के स्वच्छ भारत अभियान ने तस्वीर बदलकर रख दी। पांच वर्ष बाद अक्टूबर, 2019 तक ग्रामीण इलाकों में सभी घरो में शौचालय बन जाने के बाद बीमारियां बहुत कम हो गई। रोगी कम होने से देश में 50 प्रतिशत ग्रामीण आबादी सालाना 56,000 रुपये स्वास्थ मद में बचा रही है।

डायरिया के मामलों में गिरावट
जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर द्वारा वर्ष 2019 में किये गए सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, 11 करोड़ घरों में शौचालय बनने के बाद गांवों में डायरिया रोगियों की संख्या में बहुत कमी आई है। वर्ष 2013 में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की हुई मृत्यु में 11 फीसदी मामले डायरिया के थे। लगभग 6,03,175 गांवों को ओडीएफ घोषित होने के बाद वर्ष 2019 में डायरिया रोगियों की संख्या में 50 फीसदी कमी आई है। यानि हर साल तीन लाख से अधिक बच्चों की जान बचाई जा रही है।

यूपी में भी दिख रहा जेजेएम का असर
उप्र में जल जीवन मिशन अंतर्गत तेजी से कार्य किए गए हैं। वर्तमान में 49,75,160 घरों में नल से शुद्ध पेयजल पहुंचाया जा रहा है। जबकि 15 अगस्त 2019 से पहले महज 5,16,221 (1.94 प्रतिशत) परिवारों के पास पानी कनेक्शन था। जल जीवन मिशन के तहत 45 हजार से अधिक गांवों में हर घर जल का काम पूरा किया गया है।

जल की शुद्धता जांचने के लिए पांच लाख महिलाएं प्रशिक्षित

बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए इस योजना से एक लाख से अधिक स्कूलों और करीब डेढ़ लाख आंगनबाड़ी केंद्रों को जोड़ा गया है। पानी की जांच के लिए करीब पांच लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है, जो गांव-गांव जाकर पानी की शुद्धता की जांच कर रही हैं। जल जीवन मिशन के तहत सूखा प्रभावित क्षेत्रों, अशुद्ध जल से प्रभावित गांवों तथा जापानी इंसेफेलाइटिस, उग्र-एन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम से प्रभावित जनपदों को प्राथमिकता पर रख कर काम किया जा रहा है। इससे शिशु मृत्यु दर में भारी गिरावट दर्ज की गई है।

शुद्ध पेय जलापूर्ति से1.36 लाख बच्चों की जान बचाई जा सकती है : प्रो. माइकल क्रेमर

प्रो. क्रेमर ने कहा कि अगर परिवारों को पीने के लिए सुरक्षित पानी उपलब्ध करा दिया जाए तो लगभग 30 फीसदी शिशुओं की मृत्यु को कम किया जा सकता है। बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए हर घर जल योजना सबसे किफायती और प्रभावी तरीकों में से एक है। अगर, सरकार “जल जीवन मिशन योजना” अपने लक्ष्य को हासिल कर लेती है तो हर साल भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 1.36 लाख बच्चों की जान बचाई जा सकती है।

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