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काउंसिलिंग में सीनियर रेजीडेंट्स नही मिलने से कई विभागों में चिकित्सकीय कार्य प्रभावित

लखनऊ। काउंसिलिंग में सीटें उपलब्ध न होने से केजीएमयू व लोहिया आदि अच्छे संस्थानों को पांच दिन की कांउसिलिंग के बाद भी सीनियर रेजीडेंट्स नही मिले। कई विभागों में रेजीडेंटÞस का अकाल पड़ गया है, चिकित्सकीय कार्य प्रभावित होने लगा है। विभागाध्यक्षों का कहना है कि अच्छे व प्रशिक्षित रेजीडेंट्स नहीं मिलेंगे तो विभाग में मरीजों को बेहतर इलाज कैसे मिलेगा। अभी तक जो थे वे कांउसिलिंग के बाद विभिन्न जनपदों में चले गये हैं। दूसरी तरफ प्रमुख सचिव , चिकित्सा शिक्षा उप्र आलोक कुमार का कहना है कि केजीएमयू व लोहिया आदि संस्थान में अनुभवी शिक्षक हैं, उन्हें वॉक इन इंटव्यू में अच्छे रेजीडेंट्स का चयन करना चाहिये, अगर प्राइवेट कॉलेज के रेजीडेंट्स भी आते हैं तो उन्हें प्रशिक्षण देना चाहिये। इसके अलावा कांउसिलिंग एक-एक साल के लिए है, एक साल बाद रेजीडेंट्स पुन: कॉलेज बदलने का अवसर मिलेगा।

वॉक इन इंटव्यू के लिए सुरक्षित रखी गई

कांउसिलिंग में कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में सीट अलॉट होने के बाद, जब रेजीडेंट चिकित्सक गुरुवार 25 अगस्त को ज्वाइन करने पहुंचे तो ज्ञात हुआ कि संस्थान में ओबीसी वर्ग की सीट ही नही हैं। बैरंग लौटे रेजीडेंट्स ने डीजीएमई कार्यालय को अवगत कराया तो उन्हें सूदूर स्थित नवस्थापित मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। रेजीडेंट्स चिकित्सक का कहना है कि वह रैंकर थे, इसलिए कांउसिलिंग में लखनऊ का संस्थान चयन किया था, अब उन्हें रिक्त सीट पर भेजा जा रहा है। पीडियाट्रिÑक रेजीडेंट्स का आरोप है कि केजीएमयू के पीडियाट्रिक विभाग में कुल 22 सीटें हैं, बावजूद केजीएमयू ने 12 सीटों पर कांउसिलिग की डिमांड की। कांउसिलिंग केवल 7 सीटों पर हुई। अर्थात 15 सीटें वॉक इन इंटव्यू के लिए सुरक्षित रखी गई हैं। इसी प्रकार पल्मोनरी मेडिसिन, गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी, पीडियाट्रिक आर्थो, साइके्रटिक, वस्कुलर सर्जरी आदि विभिन्न विभागों में सीटें रिक्त हैं। रेजीडेंट्स चिकित्सकों का आरोप है कि हम सभी अच्छी रैंक वाले हैं, बांड की वजह से जिला अस्पतालों में बने मेडिकल कॉलेजों में भेज दिया गया है।

शासकीय तर्क

प्रमुख सचिव आलोक कुमार का कहना है कि शासन की नीति है के अनुसार दूरस्थ जनपदों में बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों को भेजा जा रहा है। अगर किसी संस्थान में सुपर स्पेशयलिटी संसाधन नही हैं तो वहां पर मूल विभाग की सेवाएं मुहैय्या कराई जायेंगी और अन्य को प्रशिक्षित किया जायेगा। वर्ष 2019 बैच के रेजीडेंट्स को अगले वर्ष काउंसिलिंग में कॉलेज बदलने का अवसर मिलेगा, प्राथमिकता मिलने पर बदल सकते हैं। रेजीडेंट्स के आरोपो का जबाब देते हुए कहा कि कोई भी नीति सभी को बराबर लाभ नही दे सकती है। प्राइवेट कॉलेज के रेजीडेंट्स को भी सरकारी संस्थानों में प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।

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