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परिस्थितियां व परिवेश बनाता है ‘ डाकू ’

निसर्ग अभिनव नाट्य समारोह के तीसरे दिन

लखनऊ। किसी भी व्यक्ति को डाकू, परिस्थितियां परिवेश बनाती हैं, जन्म से सभी अबोध ही पैदा होते हैं। यह निष्कर्ष मिलता है ‘एक नाटक अनेक थीम’ मंचित नाटक में। शनिवार को मंचित ‘कंटीले तार’ नाटक में बीहड़ का परिवेश दिखाया गया। जो दस्यु सरगनाओं की समस्या पर केंद्रित था। गुरुजंत पढ़ा लिखा सरपंच के अत्याचार और शोषण से डाकू बन जाता है। अभिनव नाट्य समारोह के चौथे दिन नाटक कंटीले तार का मंचन हुआ। नाटक में आगे दिखाया गया कि शोषित गुरुजंत नेत़ृत्व कर सरपंच से कैसे बदला लेता है।

कंटीले तार का मंचन

संत गाडगे सभागार में आयोजित नाटक में आगे दिखाया जाता कि कैसे गुरूजंत कुख्यात हो जाता है। अत्याचारियों को दंड देता और गरीबों की मदद करता है। प्रदेश की राजनीति में एक नये गांधी वादी सुधारक नेता दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन से मुख्यमंत्री बन जाते हैं। लेकिन बीहड़ क्षेत्र की आठ सीटें हार जाते हैं। नये मुख्यमंत्री डाकू सुधार योजना के तहत डाकुओं का आत्म समर्पण करवाते हैं। आत्म समर्पण् करने जा रहा गुरुजंत पुलिस षड़यंत्र का शिकार हो जाता है। आखिर में गुरुजंत निर्भीक पत्रकार सुचित्रा की मदद से न्यायालय से बरी होता है। गुरजंत नये सिरे से ईमानदार समाजसेवियों की पार्टी बनकर चुनाव जीत जाता है। लेकिन डाकू होने के कारण चुनाव नही लड़ता। अंत में चुने गये लोगों की सरकार बनवाता है और खूंखार जयचंद लोहार की हत्या कर देता है। विकास नगर निवासी नाट्य लेखक मो.असलम ने बताया कि यह कहानी मैंने कोरोना काल के अंतिम दौर में पूरी की थी। जब मैं और मेरी पत्नी इशरत कोविड से संक्रमित हो गये थे। उस दौरान बेटी अर्शी त्रिवेंद्रम में थीं। तब नाटक कंटीले तार अधूरा रह गया था। खुद और पत्नी का ख्याल रखा। निधन और संक्रमित होने की सूचनाओं का सामना किया। खुद को सकारात्मक रखा। नाटक में ललित सिंह पोखरिया ,अमितेश वैभव, अंकित राव, स्वास्तिका, निशु, सूर्यांश, पूजा उपाध्याय, सिकंदर निषाद, प्रतिज्ञा सहित 21 कलाकारों ने प्रभावी अभिनय किया।

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