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राज्य कर्मचारियों के मताधिकार की लगी बोली, वोट उसे मिलेगा जो …

इप्सेफ ने एक देश एक वेतन भत्ते की मांग उठाई

कर्मचारी परिवार उसी को वोट देगा जो कर्मचारियों की मांग मानेगा : वीपी मिश्र

लखनऊ। देश के कई प्रदेशों में विधान सभी चुनावों की सुगबुगाहट शुरु हो चुकी है। नेताओं में दल बदल का खेल, सौदे बाजी शुरु हो चुकी है। आगामी चुनाव के मद्देनजर, देश व प्रदेश में पहली बार नेताओं की तरह ही, राज्य कर्मचारियों के मताधिकार की भी सौदे बाजी शुरु हो चुकी है। हलांकि , अपने मत की कीमत लगाना, असैवंधानिक है मगर, कहा जाता है कि युद्ध व प्रेम के अखाड़े में नियमों की अनदेखी आम है। ये सौदे बाजी हुई है इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन इप्सेफ की ओर से, इप्सेफ अध्यक्ष वीपी मिश्र व महामंत्री प्रेमचंद्र ने कहा कि देश में कर्मचारी व शिक्षक, समेत उनके परिवार सदस्यों का मत उन्हीं पार्टी को जायेगा जो कर्मचारियों की मांग पूरी करेगा।

इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.पी. मिश्रा एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने कहा कि राजनीतिक दल सत्ता में आने से पूर्व बहुत से वादे करते हैं परंतु सत्ता में आने पर भूल  जाते हैं। उदाहरणार्थ कई बड़े नेताओं ने पुरानी पेंशन को बहाल करने तथा राज्य के कर्मचारियों को केंद्र के समकक्ष वेतन व भत्ते दिलाने का वादा किया था परंतु सत्ता में आने पर भूल  गए।


केन्द्र व प्रदेश सरकारें कर्मचारियों को बकाया महंगाई भत्ता नही दे रही हैं

देशर के कर्मचारियों ने यह साबित कर दिया है कि देश में संकट आने पर एक दिन का वेतन दिया और कोविड-19 की महामारी में अपनी जान पर खेलकर जनता की जान बचाई। सैकड़ों लोग शहीद भी हो गए। इसके बावजूद केंद्र एवं राज्य सरकारें उनके महंगाई भत्ते के फ्रिज किए गए डी ए को वापस नहीं कर रहे हैं । जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने बकाया को 6% ब्याज के साथ भुगतान करने का सम्भवत: निर्देश दिया था। इसी प्रकार केंद्र की भाति राज्यों के कर्मचारियों को वेतन त्ते अनुमन्य नहीं कर रही है। केंद्र सरकार सरकारी संस्थानों को बेचकर निजी करण कर चुकी है और शेष बचे को भी करने जा रही है। इससे लाखों कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे !


भीषण महंगाई से ईमानदार कर्मचारी अपने परिवार का खर्च नहीं चला पा रहा है : प्रेम चंद्र

प्रेमचंद्र ने बताया कि रिक्त पदों पर र्ती, पदोन्नतिया न करके आउटसोर्सिंग ठेका पर कर्मचारी रखकर उनका भी शोषण किया जा रहा है ।भाषण महंगाई से ईमानदार कर्मचारी अपने परिवार का खर्च नहीं चला पा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्यों के कर्मचारियों एवं भारत सरकार के स्वशासी संस्थानों के कर्मचारियों का और बुरा हाल है, उन्हें महंगाई त्ता व बोनस भी नहीं मिल पा रहा है। केंद्र की भाति संवर्गो का पुनर्गठन ना होने के कारण उन्हें सातवें वेतन आयोग का पूरा ला नहीं मिल पा रहा है।

महंगाई भत्ते की किश्त नही मिल रही है : अतुल मिश्र


राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा एवं राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वेतन समिति की रिपोर्ट पर निर्णय ना करने से वेतन विसंगतियों एवं सेवा नियमावलियं लंबित होने से उन्हें सातवें वेतन आयोग का ला नहीं मिल पा रहा है। राजकीय निगम एवं स्थानीय निकायों में तो महंगाई भत्ते की किश्ते भी नहीं मिल पा रही हैं । राज्य सरकार द्वारा संकल्प जारी करने के बाद भी पदों का पुनर्गठन न होने से सातवें वेतन आयोग का ला नहीं मिल पाया है।

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